अच्छी विधायिका के लिए अच्छे विधायकों व सांसदों की जरूरत, प्रश्नकाल का बहुत समय हुआ बर्बाद -उपराष्ट्रपति नायडू

 

कार्यों का निर्वहन नहीं करने वाले सांसद व विधायक कार्यपालिका से प्रश्न करने का नैतिक अधिकार गवां देते हैं: उपराष्ट्रपति 

चेन्नई। उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू (Vice President Naidu) ने कहा कि लोगों के प्रति कार्यपालिका की जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए सुशासन को ‘अच्छे विधानमंडलों’ की आवश्यकता है। विभिन्न माध्यमों जैसे प्रश्न काल, कम अवधि की चर्चाएं, विधेयकों पर बहसों आदि का उपयोग करके निर्वाचित प्रतिनिधि सरकार से नीतियों के कार्यान्वयन, विभिन्न कल्याण और विकास परियोजनाओं के निष्पादन के बारे में प्रश्न कर सकते हैं। नायडू ने कहा कि इसके लिए ‘अच्छे विधायकों’ की आवश्यकता है, जो लोगों द्वारा उनमें जताए गए भरोसे के साथ न्याय करने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान देते हैं।

नायडू (Vice President Naidu) ने चिंता जताई की कि निरंतर व्यवधानों और जबरन स्थगन के कारण विधायिकाओं की निगरानी और जवाबदेही के कार्य अपेक्षाओं से कम हो रहे हैं। उन्होंने कहा, “अकार्यात्मक विधानमंडल समझौतापूर्ण शासन की ओर ले जाते हैं, क्योंकि विधानमंडलों में कार्यपालिका से प्रश्न किए जाने का कोई डर नहीं रह जाएगा।” उपराष्ट्रपति ने कहा कि हाल ही में समाप्त हुए शीतकालीन सत्र के दौरान व्यवधानों के कारण राज्यसभा ने कुल प्रश्न काल का लगभग 61 प्रतिशत समय गवां दिया गया है। उन्होंने कहा कि यह सदन के महत्वपूर्ण निरीक्षण कार्य का गंभीर परित्याग है।

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उपराष्ट्रपति (Vice President Naidu) ने जोर देकर कहा कि ‘अपने कार्यों का निर्वहन नहीं करने वाले सांसद या विधायक विभिन्न स्तरों पर कार्यपालिका से प्रश्न करने का नैतिक अधिकार गवां देते हैं।’उपराष्ट्रपति ने दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 97वीं जयंती, जिसे ‘सुशासन दिवस’ के रूप में मनाया जाता है, के अवसर पर चेन्नई में उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। चेन्नई के राजभवन से एक वीडियो संदेश में नायडू ने कहा कि अटल अब

तक के सबसे महान भारतीय नेताओं में से एक और भारत के राजनीतिक जगत के सबसे चमकते सितारों में से एक थे। नायडू ने स्मरण किया कि किस प्रकार अटल लोगों को विकास के एजेंडे के केंद्र में रखने में विश्वास करते थे और यह प्रदर्शित करते थे कि लोक-केंद्रित तरीके से सुशासन के माध्यम से लोकतंत्र को कैसे मजबूत किया जा सकता है।

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यह देखते हुए कि सुशासन लोगों का प्रशासन में विश्वास बढ़ाता है और आर्थिक विकास को उत्प्रेरित करता है, नायडू ने चिंता व्यक्त की कि राज्य सरकारों और स्थानीय निकायों के स्तर पर सेवाओं की प्रदायगी में ‘शासन का अभाव’ है। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस तरह की कमी से समय और लागत बढ़ जाती है, सामाजिक-आर्थिक उन्नति का लक्ष्य जोखिम में पड़ जाता है और यह लोगों को सहभागी शासन से अलग कर देता है। उन्होंने आग्रह किया कि इस पर प्राथमिकता से ध्यान देने की आवश्यकता है।

उपराष्ट्रपति (Vice President Naidu) ने शासन में सुधार के लिए प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण लागू करने, वित्तीय समावेशन के लिए बैंक खाते खोलने और निर्णय निर्माण में पारदर्शिता, जवाबदेही और नागरिक भागीदारी में सुधार लाने के लिए प्रौद्योगिकी को अपनाने जैसी विभिन्न पहलों का उल्लेख किया। उन्होंने शासन की दूसरी और तीसरी श्रेणियों में इस तरह की पहलों को अपनाने की अपील की। नायडू ने शासन की गुणवत्ता में सुधार के लिए सेवाओं के वितरण की समय सीमा निर्धारित करने वाले नागरिक चार्टर के बेहतर उपयोग का भी सुझाव दिया।

 

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