इस विश्व दृष्टि दिवस के अवसर पर बेहतर नेत्र स्वास्थ्य भारतीय अर्थव्यवस्था को 27 बिलियन अमेरिकी डॉलर (2.2 ट्रिलियन रु.) तक बढ़ा सकता है
देहरादून। इस विश्व दृष्टि दिवस पर जारी किया गया नवीन शोध यह स्पष्ट करता है कि दृष्टि (World Sight Day) हानि से बचाव के परिणामस्वरूप भारत की अर्थव्यवस्था में प्रति वर्ष 27 बिलियन अमेरिकी डॉलर (2.2 ट्रिलियन रु.) का इजाफा होगा। लव योर आइज़ कैंपेन इस बात पर प्रकाश डालने के लिए आँकड़ें जारी कर रहा है कि बेहतर नेत्र स्वास्थ्य आखिर उत्पादकता को किस प्रकार बढ़ावा देता है। साथ ही, यह बिज़नेस लीडर्स से आग्रह कर रहा है कि इस विश्व दृष्टि दिवस वे कार्यस्थल के स्वास्थ्य एजेंडा में नेत्र स्वास्थ्य को शामिल करें।
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यह अध्ययन इंटरनेशनल एजेंसी फॉर प्रिवेंशन ऑफ ब्लाइंडनेस (आईएपीबी) और जॉन्स हॉपकिन्स (World Sight Day) के प्रोफेसर केविन फ्रिक द्वारा किया गया। इसके तहत 50 से अधिक उम्र के लोगों के बीच दृष्टि हानि से बचाव की लागत की गणना की गई। इस अध्ययन में सभी देशों की तुलना में भारत में तीसरी सबसे अधिक संभावित बचत दर्ज की गई। जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी के चलते काम करने के तौर-तरीकों में बदलाव देखने को मिल रहे हैं, इसके फलस्वरूप भविष्य की अर्थव्यवस्था के तहत सेवा उद्योगों और कार्यालय-आधारित नौकरियों के वर्चस्व में भी तेजी से इजाफा होगा, जिसमें लंबे समय तक स्क्रीन का उपयोग शामिल होगा।
यदि उचित सावधानियाँ न बरती जाएँ, तो यह आँखों पर तनाव का बड़ा कारण बन सकता है और इसकी वजह से आँखों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। ग्लोबल आई हेल्थ पर लैंसेट ग्लोबल हेल्थ कमीशन के अनुसार, दृष्टि हानि से वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रति वर्ष 411 बिलियन अमेरिकी डॉलर का नुकसान होता है। अनुमान है कि दृष्टि हानि वाले 30 प्रतिशत लोगों को रोजगार की कमी का सामना करना पड़ता है। इसकी वजह से महिलाएँ, ग्रामीण समुदायों के लोग और विभिन्न जातियों के अल्पसंख्यक समूह सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। हालाँकि, समय पर इसका पता चलने और उचित उपचार के माध्यम से दृष्टि हानि का 90 प्रतिशत तक बचाव किया जा सकता है। भारत में वर्तमान में 7 करोड़ लोग दृष्टिबाधित हैं।
विनोद डेनियल, सीईओ, इंडिया विज़न इंस्टीट्यूट, कहते है वंचित और ग्रामीण समुदायों के लोगों के पास आँखों की देखभाल के लिए पर्याप्त पहुँच नहीं है, यही वजह है कि अक्सर वे आँखों की उचित जाँच और जरुरत पड़ने पर इसमें सुधार के लिए चश्मे से वंचित रह जाते हैं। इसका मतलब यह है कि उचित पहुँच में कमी और सुधार की कम गुंजाइश देश की उत्पादकता और प्रभावित व्यक्तियों की बहुमूल्य कमाई में अरबों का नुकसान करने की वजह बन रही है। दृष्टीहीनता को रोकने के लिए सबसे अधिक महत्वपूर्ण इसका शीघ्र पता लगाना है।
हम समुदायों, स्कूलों और कार्यस्थलों के साथ प्रत्यक्ष तौर पर काम करते हैं, ताकि उन लोगों को निःशुल्क आँखों की जाँच और चश्मे प्रदान किए जा सकें, जिनके पास इसकी उचित पहुँच की सुविधा नहीं है। दृष्टि हानि से बचाव उनके जीवन को पूरी तरह से बदल देने की ताकत रखता है और उन्हें काम के प्रति दृढ़ होने और जीवन में आगे बढ़ने की अनुमति मिलती है।
पीटर हॉलैंड, सीईओ- आईएपीबी और प्रवक्ता- लव योर आइज़ कैंपेन, कहते हैं मानसिक स्वास्थ्य से लेकर रजोनिवृत्ति (मासिक धर्म के समाप्त होने की स्थिति) तक, कार्यस्थल की भलाई के प्रति जागरूकता बढ़ाने में बिज़नेस लीडर्स की भूमिका महत्वपूर्ण रही है। आज, विश्व दृष्टि दिवस नियोक्ताओं के लिए सार्थक अवसर है कि वे अपने स्वास्थ्य एजेंडा में आँखों के स्वास्थ्य को शामिल करें और श्रमिकों को अपनी आँखों की उचित देखभाल करने के लिए प्रोत्साहित करें।
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