ईश्वर के समक्ष किए गए पापों प्रायश्चित करना ही एक मात्र मुक्ति पाने का उपाय: आचार्य उद्धव मिश्रा
हरिद्वार। श्री बालाजी धाम धर्मार्थ सेवा ट्रस्ट (Shri Balaji Dham Charitable Service Trust) के तत्वावधान में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन श्री पंचमुखी हनुमान दुर्गा मंदिर के संस्थापक महंत मनकामेश्वर गिरी महाराज ने कहा कि वैराग्य मानव को ज्ञानी बनाता है। वैराग्य में मानव संसार में रहते हुए भी सांसारिक मोहमाया से दूूर रहता है। इससे पूर्व यजमान नितेश राजपूत की ओर से पूजा-अर्चना की गई।
श्री पंचमुखी हनुमान दुर्गा मंदिर के प्रांगण में चल रही श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के तीसरे दिन कथा में उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कथावाचक आचार्य उद्धव मिश्रा ने कहा कि मनुष्य जीवन में जाने अनजाने प्रतिदिन कई पाप होते है। उनका ईश्वर के समक्ष प्रायश्चित करना ही एक मात्र मुक्ति पाने का उपाय है। उन्होंने ईश्वर आराधना के साथ अच्छे कर्म करने का आह्वान किया।
उन्होंने जीवन में सत्संग व शास्त्रों में बताए आदर्शों का श्रवण करने का आह्वान करते हुए कहा कि सत्संग में वह शक्ति है, जो व्यक्ति के जीवन को बदल देती है। उन्होंने कहा कि व्यक्तियों को अपने जीवन में क्रोध, लोभ, मोह, हिंसा, संग्रह आदि का त्यागकर विवेक के साथ श्रेष्ठ कर्म करने चाहिए। व्यासपीठाधीश्वर ने गुरुवार को भागवत कथा के दौरान कपिल चरित्र, सती चरित्र, ध्रुव चरित्र, जड़ भरत चरित्र, नृसिंह अवतार आदि प्रसंगों पर प्रवचन करते हुए कहा कि भगवान के नाम मात्र से ही व्यक्ति भवसागर से पार उतर जाता है।
उन्होंने भगवत कीर्तन करने, ज्ञानी पुरुषों के साथ सत्संग कर ज्ञान प्राप्त करने व अपने जीवन को सार्थक करने का आह्वान किया। भजन मंडली की ओर से प्रस्तुत किए गए भजनों पर श्रोता भाव विभोर होकर नाचने लगे। कथा में श्री बालाजी धाम धर्मार्थ सेवा ट्रस्ट के अध्यक्ष डॉ प्रदीप मिश्रा, अभिनव मिश्रा, आयुष मिश्रा, विशु मिश्रा, पुजारी प्रभु नारायण मिश्रा, शांतनु ठाकुर, उमा धीमान, प्रिंसी त्यागी, अखिलेश राजपूत सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु भक्तजन मौजूद रहे।