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अमेरिका में हड़कंप – डोनाल्ड ट्रम्प पर चली गोलियां ?

Attack on Trump

गोंदिया – वैश्विक स्तरपर दुनियां के सबसे पुराने लोकतंत्र के गढ़ अमेरिका(Attack on Trump) में जहां एक ओर लंबे समय से 5 नवंबर 2024 को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया चल रही है, जिसमें तीन मूल भारतीय भी इस प्रक्रिया का हिस्सा बने थे और अंत में निक्की हेलन भी बाहर हो गई। सिर्फ दो उम्मीदवार बचे हैं डोनाल्ड ट्रंप और जो बाईडेन अभी इन्हीं दो प्रत्याशियों में प्रक्रिया शुरू है। पिछले दिनों दोनों के बीच डिबेट को भी सारी दुनिया ने देखा था जिसमें ट्रंप का पलड़ा अपेक्षाकृत भारी होने का अनुमान दुनियां की मीडिया ने लगाया था और अंदाजा लगाया जा रहा था कि यदि पार्टी जो बिडेन को उम्मीदवारी में बदलती है तो कमला हैरिस का नाम सामने आ सकता है फिर बाईडेन के एक बयान से इसकी संभावना काम हो गई।

कुछ दिनों से दोनों प्रत्याशियों का चुनाव प्रचार जोरों पर है, पूरा विश्व भी इस चुनाव पर नजर लगाए हुए है। इसी क्रम में डोनाल्ड ट्रंप(Attack on Trump) एक स्थान पर आए चुनाव प्रचार की सभा कर रहे थे कि उन पर हमला हो गया, कई राउंड फायरिंग हुई, जिसमें एक गोली उनके कान को छुते हुई निकली, जिससे खून फोटोस में देख रहा है। यह सब जानकारी मीडिया में आई है। अब सवाल उठता है कि आखिर राजनीति और लोकतंत्र में ऐसी हिंसा क्यों होती है। दुनियां में अनेकों लोकतांत्रिक देश हैं, हालांकि हिंसा वहां भी होती है परंतु मैंने जब अमेरिका का इतिहास खंगाला तो पता चला कि, इसके पूर्व भी ऐसी 9 घटनाएं हुई है जिसमें प्रत्याशी या राष्ट्रपति यातो मारे गए हैं या घायल हुए हैं, जो बड़ी हैरानी वाली बात है।

वैसे भी हम अनेकों बार मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म पर अमेरिका की गोली संस्कृति के बारे में सुनते रहते हैं  कि स्कूलों, चौराहा रोडो या सिनेमाघरों में अक्सर फायरिंग की घटनाएं होती रहती है,इसलिए यह ट्रंप की घटना से जानकारों को कोई भारी आश्चर्य नहीं हुआ होगा, परंतु पूरी दुनियां सदमे में है कि ऐसे सबसे बड़े पूर्ण विकसित देश में लोकतंत्र में हिंसा हो रही है तो, उनका स्थान कहां होगा ब्रिटेन फ्रांस भारत इजराइल आस्ट्रेलिया सहित पूरी दुनियां के शासको विपक्ष ने बयान जारी कर इस घटना पर दुख जाहिर किया है।ट्रंप के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की है। भारतीय पीएम ने भी कहा है की राजनीति और लोकतंत्र में हिंसा के लिए कोई स्थान नहीं है।

हालांकि भारत में भी इस तरह की घटना हुई है जिसकी चर्चा हम नीचे पैरा में करेंगे। चूंकि अमेरिका के चुनावी माहौल के बीच ट्रंप पर हमले ने पूरी दुनिया को वहां हुई राजनीतिक हत्याओं की फिर से याद ताजा कर दी है, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, विश्व ने अमेरिका के राष्ट्रपति उम्मीदवार पर हमले की कड़ी निंदा की है, राजनीति और लोकतंत्र में हिंसा के लिए कोई स्थान नहीं है। साथियों बात अगर हम दिनांक 14 जुलाई 2024 को अमेरिकी राष्ट्रपति उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप(Attack on Trump) पर हुए हमले की करें तो,उन्हें एक चुनावी रैली में गोली मारी गई है।

अगले ही दिन रिपब्लिकन पार्टी औपचारिक रूप से उन्हें व्हाइट हाउस के लिए अपना उम्मीदवार घोषित करने वाली थी। उससे ठीक एक दिन पहले उन पर हत्या का प्रयास किया गया। गोली लगने के बाद ट्रंप ने अपने चेहरे के दाहिने हिस्से को टच किया और फिर जमीन पर गिर पड़े। पूर्व राष्ट्रपति के चेहरे के दाहिने हिस्से से खून बहता हुआ दिखाई दिया। सीक्रेट सर्विस के एजेंटों ने उन्हें बचाने के लिए खुद को उन पर झोंक दिया। जब वे उठे, तो एजेंट उन्हें अंदर ले गए। ऐसा पहली बार नहीं है जब इतने बड़े नेताको सरेआम गोलीमारी गईहै,इससे पहलेभी अमेरिका सहित कई देश के नेताओं पर जानलेवा हमला किया गया था।

इस घटना ने साल 2024 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव अभियान को भी बुरी तरह प्रभावित कर दिया है। इससे देश के सामाजिक और सांस्कृतिक ताने-बाने को भी नुक़सान पहुँचा है।इस घटना से अमेरिका की राजनीति में कई दशक से बनी देश की सुरक्षा का भ्रम भी टूट गया है। इस गोलीबारी में ट्रंप को केवल मामूली चोटें आई हैं, लेकिन उनके लिए यह मामला काफ़ी क़रीबी भी हो सकता था। न्यूयॉर्क टाइम्स अख़बार के डग मिल्स की ली हुई एक तस्वीर में पूर्व राष्ट्रपति के सिर के पास से एक गोली हवा में एक लकीर की तरह चलती हुई दिखती है।इसके तुरंत बाद सुरक्षा गार्ड उनके आसपास घेरा बना लिया और ट्रंप को अस्पताल ले गए।अमेरिका में 52 साल बाद किसी राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार पर हमला हुआ। इससे पहले 1972 में जॉर्ज सी वॉलेस पर गोली चलाई गई थी। इस घटना ने पूरी दुनिया को अमेरिका में हुई राजनीतिक(Attack on Trump) हत्याओं की याद दिला दी।

ट्रम्प अमेरिका के पहले राष्ट्रपति या पूर्व राष्ट्रपति नहीं हैं, जिनकी हत्या की कोशिश की गई है। अमेरिका के राजनीतिक इतिहास में ऐसे कई नाम हैं, जिनकी या तो हत्या कर दी गई, या फिर मारने की कोशिश की गई है। साथियों बात अगर हम अमेरिका में चुनाव में या राष्ट्रपति पर हमले के इतिहास की करें तो 9 घटनाएं संज्ञान में आई है। कांग्रेसनलरिसर्च सर्विस द्वारा 2008 में तैयार की गई रिपोर्ट के मुताबिक, राष्ट्रपति, राष्ट्रपति चुनाव और उम्मीदवारों पर 15 अलग-अलग मौके पर सीधे हमले हुए हैं। इस दौरान 5 नेताओं की मौत हुई। इन हमलों में 45 आरोपियों में से 13 को वास्तविक या हत्या की कोशिश जैसे हमलों का सामना करना पड़ा है। इनमें डोनाल्ड ट्रम्प के साथ हुई हालिया घटना शामिल नहीं है।

पिछले 9 राष्ट्रपति में से कम से कम 7 पर अटैक, हमले या हत्या की कोशिश हुई। कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस रिपोर्ट के अनुसार, हमले में बचने वाले राष्ट्रपतियों में गेराल्ड आर. फोर्ड (1975 में दो बार), रोनाल्ड डब्ल्यू. रीगन (1981 में जानलेवा गोलीबारी), बिल क्लिंटन (1994 में व्हाइट हाउस पर गोलीबारी हुई), और जॉर्ज डब्ल्यू. बुश (2005 में हमलावर ने ग्रेनेड फेंका जो फटा नहीं) शामिल हैं। ताजा रिपोर्ट के अनुसार, पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा, ट्रम्प और राष्ट्रपति बिडेन पर भी हमले की कोशिश हो चुकी है। 2 पूर्व राष्ट्रपतियों पर भी कैंपेन के दौरान अटैकराष्ट्रपति के रूप में सेवा कर चुके फ्रैंकलिन डी. रूजवेल्ट पर राष्ट्रपति-चुनाव 1933 और राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार थियोडोर रूजवेल्ट पर 1912 में अटैक हो चुका है।

अन्य दो राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार- रॉबर्ट एफ. केनेडी, जो 1968 में मारे गए और जॉर्ज सी. वालेस जो 1972 में गंभीर रूप से घायल हो गए थे। 4 अमेरिकी राष्ट्रपतियों की हुई हत्या?अमेरिकी इतिहास में चार राष्ट्रपतियों- अब्राहम लिंकन, जेम्स ए. गारफील्ड, विलियम मैककिनली और जॉन एफ. केनेडी की हत्या की जा चुकी है। रिपोर्ट के अनुसार, लिस्टेड 15 हमलों में से केवल लिंकन की हत्या एक व्यापक साजिश का परिणाम थी, लेकिन इन घटनाओं के आसपास साजिश के सबूत आज भी मौजूद हैं।नेताओं पर पहला रजिस्टर्ड अटैक कब हुआ? कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस के मुताबिक, अमेरिका में नेताओं पर पहला रजिस्टर्ड अटैक 1835 में हुआ, जब एक हमलावर की पिस्तौल राष्ट्रपति एंड्रयू जैक्सन के खिलाफ गलत फायर हो गई थी। हमलावर रिचर्ड लॉरेंस को पागल घोषित किया गया था। उसने कहा,जैक्सन उसे बड़ी रकम हासिल करने से रोक रहे थे और देश को बर्बाद कर रहे थे।

अब्राहम लिंकन: अमेरिकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन को 1865 में एक थिएटर में गोली मार दी गई थी। इससे पहले भी 1861 और 1864 में उनकी हत्या के दो प्रयास किए जा चुके थे।जेम्स ए गारफील्ड:1881 को वाशिंगटन डीसी के बाल्टीमोर और पोटोमैक रेलवे स्टेशन पर राष्ट्रपति जेम्स ए. गारफील्ड को गोली मार दी गई थी। उन्हें दो गोली लगी थीं। 19 सितंबर, 1881 को उनकी मृत्यु हो गई। साथियों बात अगर हम हमले में आरोप प्रत्यारोप की करें तो अमेरिका में चुनावी माहौल के बीच हुए इस हमले पर कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं। एक तरफ ट्रम्प की पार्टी बाइडेन और डेमोक्रेट्स पर हमला करवाने के आरोप लगा रही है।

वहीं, सोशल मीडिया पर कई लोगों का कहना है कि ये हमला खुद ट्रम्प ने ही करवाया है।अब वो 3 वजह जानिए जो ट्रम्प(Attack on Trump) पर खुद हमला करवाने के दावे को खारिज करती हैं

(1) अटैक का तरीकाडोनाल्ड ट्रम्प पर हमलावर ने असॉल्ट राइफल एआर15 से हमला किया। इस गन से ट्रम्प पर पहली बार में 3 राउंड फायर किए गए। इनमें से एक बुलेट ट्रम्प के कान को छूती हुई निकल गई। ट्रम्प के कान से खून निकला और वे तुरंत मंच पर झुक गए।ट्रम्प के झुकने के बाद उन पर दूसरी बार में 5 राउंड फायर किया गया। इसी बीच ट्रम्प की सुरक्षा में तैनात सीक्रेट सर्विस के जवानों ने उन्हें कवर किया और दूसरी तरफ से हमलावर को मार गिराया।

तर्क – अगर ट्रम्प को कान पर ही गोली मरवानी होती तो वे असॉल्ट राइफल की जगह एकदम सटीक निशाने पर लगने वाली स्नाइपर गन से हमला करवाते। असॉल्ट गन के इस्तेमाल में निशाना चूकने का डर रहता है। ऐसे में गोली कान की जगह शरीर के किसी दूसरे हिस्से में भी लग सकती थी। स्नाइपर गन की तुलना में असॉल्ट राइफल की एक्यूरेसी कम होती है। ट्रम्प कभी भी इतना बड़ा खतरा नहीं उठाएंगे कि एक कम एक्यूरेसी की राइफल से खुद पर हमला कराएं।

ऐसी स्थिति में गोली उनके सिर को भी भेद सकती थी और उनकी मौके पर ही मौत जाती। स्नाइपर गन से एक बार में एक ही राउंड फायर किया जा सकता है। दूसरी बार फायर करने से पहले उसे लोड करना पड़ता है। इसकी वजह से उसकी स्टेबिलिटी अधिक होती है। यानी फायर करने के दौरान वो हिलती-डुलती नहीं है जिससे गोली सटीक निशाने पर लगती है। वहीं असॉल्ट राइफल एआर15 एकऑटोमेटिक गन है, इससे एक मिनट में 800 राउंड तक फायर किए जा सकते हैं। इसके कारण इसकी स्टेबिलिटी उतनी अधिक नहीं होती है। फायरिंग के दौरान इसमें काफी मूवमेंट होता है, इसके चलते सटीक निशाना लगाने में दिक्कत आती है।

(2) ट्रम्प पर हुए हमले को लेकर दावा किया जा रहा है कि उन्होंने चुनाव में सहानुभूति लेने के लिए खुद पर हमला कराया है। डोनाल्ड ट्रम्प जनता की सहानुभूति लेकर चुनाव में वोट हासिल करना चाहते हैं। हालांकि इस दावे में सच्चाई कम ही नजर आती है

तर्क – पिछले महीने डोनाल्ड ट्रम्प की राष्ट्रपति बाइडेन के साथ हुई डिबेट के बाद से ही उन्हें राष्ट्रपति पद के लिए प्रमुख दावेदार माना जा रहा है। डिबेट के बाद हुए पोल में 67प्रतिशत लोगों ने ट्रम्प को जबकि 33 प्रतिशत लोगों ने बाइडेन को डिबेट का विजेता माना था।ट्रम्प के खिलाफ खड़े बाइडेन, अप्रूवल रेटिंग में पिछले एक साल में उनसे पिछड़ते नजर आए हैं। सीएनएन के एक पोल के मुताबिक अमेरिका में 49 प्रतिशत लोग ट्रम्प को अगले राष्ट्रपति के तौर पर पसंद कर रहे हैं। जबकि बाइडेन सिर्फ 43 प्रतिशत की पसंद हैं।वहीं सीएनएन के ही एक दूसरे पोल में 75 प्रतिशत लोगों ने बाइडेन को डेमोक्रेटिक पार्टी से राष्ट्रपति उम्मीदवार के तौर पर नकार दिया। सिर्फ 25 प्रतिशत लोग ही बाइडेन के समर्थन में दिखे। डोनाल्ड ट्रम्प बाइडेन पर पहले ही राजनीतिक तौर पर बढ़त बनाए हुए हैं। ऐसे में ट्रम्प को सहानुभूति के लिए खुद पर हमला कराने की जरूरत नहीं है।

(3) सिक्योरिटी का जिम्मा सीक्रेट सर्विस के पास, ट्रम्प के पास कोई अधिकार नहींडोनाल्ड ट्रम्प अपनी ही सिक्योरिटी को चकमा देकर खुद पर हमला नहीं करवा सकते हैं। उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी सीक्रेट सर्विस के पास होती है, जो किसी भी दौरे से पहले उस जगह का मुआयना करते हैं। इसके अलावा अधिकारी ही सुरक्षा से जुड़ा एक प्लान तैयार करते हैं। ऐसे में अपनी ही सुरक्षा को भेद पाना ट्रम्प या उनके किसी भी साथी के लिए आसान नहीं होता।

तर्क – डोनाल्ड ट्रम्प अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति है ऐसे में उनकी सुरक्षा का जिम्मा सीक्रेट सर्विस के पास है। ये सीक्रेट सर्विस अमेरिका की फेडरल एजेंसी है जो सरकार के अंतर्गत आती है।सीक्रेट सर्विस के अलावा एफबीआईं और स्थानीय पुलिस भी पूर्व राष्ट्रपतियों की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार होती हैं। पूर्व राष्ट्रपति की सुरक्षा में 75 अधिकारी चौबीसों घंटे तैनात रहते हैं। उनकी आवाजाही के लिए स्पेशल फोर्स हमेशा साथ रहती है। ऐसे में किसी भी पूर्व राष्ट्रपति का अपने ही सुरक्षा घेरे को तोड़कर खुद पर हमला करवाना बिल्कुल ही आसान नहीं है।

साथियों बात अगर हम ट्रंप के हमले में विश्व के बड़े व प्रमुख नेताओं शासको के बयान की करें तो, भारतीय पीएम ने डोनाल्ड ट्रंप पर हमले की कड़ी निंदाकी पीएम ने एक्स पर पोस्ट किया:मेरे मित्र, पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर हुए हमले से बहुत चिंतित हूं। इस घटना की कड़ी निंदा करता हूं। राजनीति और लोकतंत्र में हिंसा के लिए कोई स्थान नहीं है। उनके शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की मगंल कामना करता हूं।हमारी संवेदनाएं और प्रार्थनाएं मृतकों के परिवार, घायलों और अमेरिका की जनता के साथ हैं।अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगेकि अमेरिका मेंहड़कंप किसके निशाने पर थे डोनाल्ड ट्रंप? विश्व नें अमेरिका के राष्ट्रपति उम्मीदवार पर हमले की कड़ी निंदा की-राजनीति और लोकतंत्र में हिंसा के लिए कोई स्थान नहीं।अमेरिका में चुनावी माहौल के बीच ट्रंप पर हमले ने पूरी दुनिया को, वहां हुई राजनीतिक हत्याओं की फिर से यादें ताजा कर दी है।

Donald trump

संकलनकर्ता लेखक – कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र

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