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केदारनाथ यात्रा: जीएमवीएन एवं स्थानीय व्यापारियों को 100 करोड़ से अधिक का हुआ व्यापार

केदारनाथ यात्रा: जीएमवीएन एवं स्थानीय व्यापारियों को 100 करोड़ से अधिक का हुआ व्यापार
केदारनाथ यात्रा: जीएमवीएन एवं स्थानीय व्यापारियों को 100 करोड़ से अधिक का हुआ व्यापार

श्री केदारनाथ धाम यात्रा हर वर्ष नए कीर्तिमान स्थापित कर रही है। एक ओर जहां बाबा केदारनाथ के दर्शन को देश विदेश से पहुंचने वाले श्रद्धालुओं का आंकड़ा नए रिकॉर्ड कायम कर रहा है वहीं स्थानीय लोगों के रोजगार को भी बढ़ती हुई यात्रा से लगातार लाभ मिल रहा है। दूसरी ओर शासन प्रशासन द्वारा यात्रा पर पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को दी जा रही सुविधाओं से सरकार को भी भारी राजस्व प्राप्त हो रहा है।

बाबा के कपाट खुले एक महीने का समय पूर्ण हो चुका है और इसी एक महीने में सरकारी सुविधाओं से लेकर स्थानीय व्यापारियों ने दो अरब से अधिक का कारोबार कर लिया है। वहीं जून का महीना शुरू होने के बाद से श्रद्धालुओं की संख्या में लगातार इजाफा भी होने लगा है, जिसका स्थानीय व्यापारियों एवं महिला स्वयं सहायता समूहों को पूरा लाभ मिलेगा।

सात लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने किए बाबा के दर्शन

वर्ष 2025 की यात्रा के लिए 02 मई को बाबा केदारनाथ धाम के कपाट श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खुल गए थे। बाबा के कपाट खुले एक महीने का समय पूर्ण हो चुका है। रविवार 01 जून को बाबा के दर्शन करने वाले भक्तों की संख्या 07 लाख पार हो चुकी है। पिछले एक महीने का औसत निकला जाए तो प्रतिदिन 24 हजार श्रद्धालु बाबा के दर्शनों को केदारपुरी पहुंचे हैं।

घोड़ा -खच्चर संचालन से 40.5 करोड़ रुपए की आय

श्री केदारनाथ धाम यात्रा देश की सबसे कठिन धार्मिक यात्राओं में से एक है। करीब 20 किलोमीटर का कठिन पैदल मार्ग पार करने के बाद हिमालय पर्वत की गोद में बसे 11 वें ज्योतिलिंग के दर्शन हो पाते हैं। इस कठिन पैदल धार्मिक यात्रा में घोड़ा -खच्चरों का बेहद अहम योगदान होता है। असमर्थ एवं बुजुर्ग भक्त अक्सर इन्हीं के माध्यम से यात्रा करते हैं वहीं खाद्य पदार्थ से लेकर अन्य अनिवार्य सामग्री इन्हीं घोड़े खच्चरों से यात्रा मार्ग एवं केदारपुरी में पहुंचाई जाती है। मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ आशीष रावत ने बताया कि 31 मई तक 1,39,444 तीर्थलु घोड़े खच्चरों के माध्यम से दर्शनों को पहुंचे हैं जिसके माध्यम से 40 करोड़ 50 लाख से अधिक की आय प्राप्त हुई है। बताया कि इस वर्ष संक्रामक बीमारी इक्वाइन इन्फ्लूएंजा वायरस के चलते कुछ दिन घोड़ा खच्चर संचालन प्रभावित भी रहा।

हेली सेवाओं ने किया 35 करोड़ रुपयों का कारोबार

हेली सेवाओं की श्री केदारनाथ धाम यात्रा में अपनी एक अहम भूमिका है। हेली सेवाओं के माध्यम से किसी भी हालात में पैदल यात्रा करने में असमर्थ श्रद्धालुओं को बाबा के दर्शन का मौका मिलता है। वहीं रेस्क्यू अभियान में हेली सेवाएं अहम किरदार निभा रही हैं। प्रत्येक दिन दो से तीन मेडिकल आपातकाल से जूझ रहे लोगों को हेली सेवाओं से ही समय पर हायर सेंटर रेस्क्यू किया जाता है। जिला पर्यटन अधिकारी एवं नोडल हेली सेवा राहुल चौबे ने बताया कि इस वर्ष आठ हेली कंपनियां नौ हेलीपैड से अपना संचालन कर रही हैं। 31 मई तक लगभग 33000 श्रद्धालु हेली सेवाओं के माध्यम से बाबा केदारनाथ धाम पहुंचे हैं जिससे करीब 35 करोड़ रुपए की आय प्राप्त हुई है। चौबे ने श्रद्धालुओं से अपील करते हुए कहा कि हेली बुकिंग के लिए आईआरसीटीसी की आधिकारिक वेबसाइट से ही बुकिंग की जाए।

डंडी -कंडी से एक करोड़ से अधिक की आय

श्री केदारनाथ धाम पैदल यात्रा मार्ग पर जितने घोड़े- खच्चरों का संचालन महत्वपूर्ण है उतना ही डंडी- कंडी संचालन भी। पैदल चलने में असमर्थ कई भक्त डंडी कंडी की जगह डंडी- कंडी से यात्रा करना पसंद करते हैं। वहीं छोटे बच्चों के लिहाज से भी यह ज्यादा सुरक्षित माना जाता है। इसके अलावा कई श्रद्धालु खुद पैदल यात्रा कर केवल समान डंडी- कंडी की मदद से केदारपुरी पहुंचा देते हैं। अपर मुख्य अधिकारी जिला पंचायत रुद्रप्रयाग संजय कुमार ने बताया कि इस वर्ष की यात्रा के लिए 7000 से अधिक डंडी- कंडी संचालक पंजीकृत हैं। 31 मई तक 29275 श्रद्धालु डंडी- कंडी के माध्यम से यात्रा कर चुके हैं, जिससे एक करोड़ 16 लाख, 89 हजार 100 रुपए की आय प्राप्त हुई है। वहीं गंदगी फैलने एवं अन्य नियमों के उल्लंघन पर विभिन्न प्रतिष्ठानों का 2,26,000 रुपए का चालन कर अर्थदंड भी वसूला गया है।

टैक्सी संचालन से करीब 7 करोड़ रुपए अर्जित

सहायक परिवहन अधिकारी रुद्रप्रयाग कुलवंत सिंह चौहान ने बताया कि इस वर्ष श्री केदारनाथ धाम यात्रा में शटल सेवा के लिए 225 गाड़ियां पंजीकृत हैं। इन्हीं गाड़ियों में श्रद्धालु सोनप्रयाग से गौरीकुंड तक पहुंचते हैं।

अब तक सात लाख से अधिक श्रद्धालु श्री केदारनाथ धाम पहुंच चुके हैं हर यात्री को 50 रुपए जाने एवं 50 रुपए वापस सोनप्रयाग आने के चुकाने पड़ते हैं। 01 जून तक 7 लाख श्रद्धालु धाम में पहुंच चुके हैं यानी अब तक टैक्सी संचालक करीब 7 करोड़ रुपए शटल सेवा के माध्यम से अर्जित कर चुकी हैं। वहीं इस वर्ष नई पहल करते हुए 25 गाड़ियां महिला एवं बुजुर्गों के लिए आरक्षित की गई हैं। प्रति गाड़ी में औसतन 10 सवारी यात्रा कर सकती हैं। इन गाड़ियों में बकायदा स्टीकर भी लगाए गए हैं। पहले चरण में 25 वाहन ही इसके लिए लिए गए हैं अगर प्रयोग सफल रहता है और अधिक गाड़ियों की आवश्यकता महसूस हुई तो गाड़ियों की संख्या बढ़ाई जा सकती है।

होटल प्रतिष्ठानों ने किया 100 करोड़ से अधिक का कारोबार

श्री केदारनाथ धाम यात्रा मार्ग एवं केदारपुरी में श्रद्धालुओं की ठहरने की व्यवस्था जीएमवीएन एवं स्थानीय व्यापारी करते हैं। श्री केदारनाथ धाम यात्रा मार्ग से लेकर केदारपुरी तक स्थानीय लोगों के सैकड़ों होटल, टेंट एवं रेस्तरां हैं जिनमें ठहरने एवं खाने के लिए श्रद्धालु रुकते हैं। व्यापार संघ अध्यक्ष गौरीकुंड रामचंद्र गोस्वामी ने कहा कि श्री केदारनाथ धाम यात्रा का स्वरूप हर वर्ष बढ़ता जा रहा है। इस वर्ष भी ऐतिहासिक रूप से यात्रा चल रही है, अकेले गौरीकुंड में करीब 350 प्रतिष्ठान हैं जहां श्रद्धालुओं के रहने- खाने की व्यवस्था होती है।

श्री केदारनाथ धाम यात्रा पर आने वाले एक यात्री का रहने एवं खाने का औसत खर्चा 1500 से 2000 रुपए न्यूनतम होता है। इसमें कुछ लोग अपने खाने की व्यवस्था स्वयं करते हैं। एक महीने में यात्रा पर पहुंचे 7 लाख श्रद्धालुओं के हिसाब से औसत निकाला जाए तो 100 करोड़ रुपए होटल एवं रेस्तरां प्रतिष्ठानों ने कारोबार कर लिया है। उधर, जीएमवीएन के रीजनल मैनेजर गिरवीर रावत ने बताया कि जीएमवीएन के 15 प्रतिष्ठान केदारनाथ यात्रा मार्ग पर हैं जिसमें जिसमें ध्यान गुफा भी शामिल हैं। इन सभी में मिलकर एक महीने में 3 करोड़ 80 लाख 1582 रुपए का राजस्व प्राप्त किया है।

“श्री केदारनाथ धाम यात्रा उत्तराखंड की आस्था और संस्कृति की धुरी बन चुकी है। सरकार का लक्ष्य केवल तीर्थयात्रियों को सुविधाएं देना नहीं, बल्कि स्थानीय युवाओं, महिलाओं एवं व्यापारियों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना भी है। हम प्रयासरत हैं कि यात्रा सुरक्षित, सुगम और समृद्ध बनाने की दिशा में हर संभव कदम उठाएं।*

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