IIT रुड़की के शोधकर्ताओं की INPTA के सहयोग से ब्लैक होल सिम्फनी का पता लगाने में अहम भूमिका

रुड़की: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की (आईआईटी रुड़की/IIT Roorkee) के शोधकर्ताओं समेत एक टीम ने इंडियन पल्सर टाइमिंग ऐरे(Pulsar Timing Array) द्वारा पहले डेटा जारी करने में योगदान दिया है। आईएनपीटीए लगभग चालीस रेडियो-एस्ट्रोनोमरों का भारत-जापान सहयोग समूह है जो इंटरनेशनल पल्सर टाइमिंग एरे \आईपीटीए (International Pulsar Timing Array (IPTA) के साथ मिल कर कम फ्रिक्वेंसी के गुरुत्वाकर्षण तरंगों का पता लगाने का काम कर रहा है। आईएनपीटीए का यह डेटा साढ़े तीन साल के अवलोकन के परिणामस्वरूप जारी किया गया है। यह अवलोकन दुनिया के सबसे बड़े और बेहतरीन टेलीस्कोपों में से एक अपग्रेडेड जायंट मीटरवेव रेडियो टेलीस्कोप (यूजीएमआरटी) से किया गया है जिसका संचालन पुणे के निकट एनसीआरए-टीआईएफआर करता है।

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यह आलेख आईआईटी रुड़की में भौतिकी विभाग के प्रोफेसर पी अरुमुगम और उनके पीएचडी छात्र जयखोम्बा सिंघा और आईआईटीआर के पूर्व छात्र पीयूष मरमत ने मिल कर तैयार किया है जो हाल ही में एस्ट्रोनॉमिकल सोसायटी ऑफ ऑस्ट्रेलिया में प्रकाशित हुआ है। इस शोध को अहम बताते हुए आईआईटी रुड़की मंे भौतिकी विभाग के प्रो. पी. अरुमुगम ने कहा, ‘‘यह हमारे कोलैबोरेशन की महत्वपूर्ण प्रस्तुति है और एक नए विंडो में गुरुत्वाकर्षण तरंगों का पता लगाने में मदद करेगी।’’ इस यूनिवर्स में गुरुत्वाकर्षण तरंगों के आधार पर प्रकृति के गहरे रहस्यों के उत्तर छिपे हैं। अब हम जिन तरंगों का पता लगाते हैं वे मजबूत परंतु अल्पकालिक होती हैं।

शोधकर्ता बड़ी लहरों को समुद्र के किनारे जोर से टकराते हुए सुन रहे हैं, जबकि स्पेसटाइम लगातार छोटी-छोटी लहरों से भरा हुआ है। आप एक सिम्फनी की कल्पना करें जहां हाई-पिच सेक्शन क्रेसेंडो की जोरदार आवाज सुनाई दे रही है जबकि बास सेक्शन लगातार फंडामेंटल प्रॉगरेशन बजा रहे हैं। यूनिवर्स में गुरुत्वीय तरंगों का यह इंटरप्ले ऐसा है मानो प्रकृति सिम्फनी बजा रही हो। शोधकर्ता चुपके से क्रेसंेडो पर ध्यान लगाए हैं जबकि एक निरंतर ‘बज़’ से एक लौकिक मधुर संगीत उत्पन्न हो रहा है। ये तरंगें सुपरमासिव ब्लैक होल बाइनरी जोड़ों से उत्पन्न होती हैं जो उनके आपसी टकराव के दौरान दौरान लाखों वर्षों से एक दूसरे के चारों ओर परिक्रमा कर रहे हैं। उनका पता लगाने में सबसे पहली चुनौती उनके बीच मौजूद इंटरस्टेलर मीडिया का वास्ट ओशन है।

यह आईएनपीटीए डेटा इस इंटरस्टेलर ‘वेदर’ का चार्ट और निकट भविष्य में खोज का मार्ग प्रशस्त करने के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। शोधकर्ताओं को बधाई देते हुए आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रोफेसर कमल के. पंत ने कहा, “मैं आईआईटी रुड़की के अपने शोधकर्ताओं और आईएनपीटीए टीम को इस उपलब्धि के लिए बधाई देता हूं। आईआईटी रुड़की का यूजीएमआरटी जैसी विश्वस्तरीय सुविधा का लाभ लेते हुए इस वैश्विक प्रयास का हिस्सा होना मेरे लिए बहुत खुशी की बात है।.

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