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यूपी: आयकर इंस्पेक्टर की मां और भाई-भाभी की हत्या, 80 लाख की डकैती

Murder in bareilly

बरेली के सुरेश शर्मा नगर में करीब 10 साल पहले 80 लाख की डकैती (Murder in bareilly) के दौरान आयकर निरीक्षक रविकांत मिश्रा की मां और भाई-भाभी की हत्या करने वाले छैमार गिरोह के आठ बदमाशों को फांसी की सजा सुनाई गई है। इनमें शामिल दो महिलाएं आपस में सास-बहू हैं। बृहस्पतिवार को फैसला सुनाते हुए विशेष न्यायाधीश (फास्ट ट्रैक कोर्ट) रवि कुमार दिवाकर ने डकैती का माल खरीदने वाले शाहजहांपुर के सराफ राजू वर्मा को उम्रकैद और पांच लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई।

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पीलीभीत में तैनात आयकर निरीक्षक रविकांत मिश्रा (Murder in bareilly) के घर यह वारदात अप्रैल 2014 में हुई थी। बारादरी थाने में दर्ज कराई गई रिपोर्ट के हवाले से एडीजीसी  दिगंबर पटेल ने बताया कि रविकांत 21 अप्रैल को पीलीभीत चले गए थे। दो दिन तक परिजनों से संपर्क न होने पर वह 23 अप्रैल की सुबह घर आए। मेन गेट अंदर से बंद था। पड़ोस के निर्माणाधीन मकान की छत से अंदर जाकर देखा तो मां पुष्पा का रक्तरंजित शव सीढ़ियों के पास पड़ा था। बेडरूम में भाई योगेश (सॉफ्टवेयर इंजीनियर)  भाभी प्रिया के शव पड़े थे।

मामला अज्ञात बदमाशों के विरुद्ध डकैती, हत्या, आपराधिक षड्यंत्र की धाराओं में दर्ज किया गया था। विवेचना में शेरगढ़ के कुड़ला नगरिया निवासी वाजिद, बिथरी चैनपुर के डेरा उमरिया के हसीन, जुल्फाम, फहीम, यासीन उर्फ जीशान, नाजिमा, हाशिमा और संभल निवासी समीर उर्फ साहिब उर्फ नफीस के नाम सामने आए।

पूछताछ में खुलासा हुआ कि डकैती का माल शाहजहांपुर के मोहल्ला चौक सदर कैंट निवासी सराफ राजू वर्मा ने खरीदा था। इसलिए उसे भी उम्रकैद की सजा सुनाई गई। वहीं फांसी की सजा पाए प्रत्येक दोषी पर 1.60-1.60 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। जुर्माने की समस्त राशि वादी रविकांत मिश्रा को देने का आदेश कोर्ट ने दिया। जिले के इतिहास में आठ दोषियों को एक साथ फांसी की सजा का आदेश पहली बार हुआ है।

ऐसे हुआ था खुलासा
दो मई, 2014 को पुलिस ने उमरिया गांव में नदी के किनारे स्थित डेरों से वाजिद, नाजिमा व हाशिमा को पकड़ा। इनसे बरामद एक कागज पर आयकर विभाग रवि मिश्रा लिखा हुआ था। इससे पुलिस का ध्यान रविकांत के यहां हुई वारदात पर गया। परिजनों ने मिले पर्स को योगेश का बताया। पूछताछ में वाजिद ने जुर्म कबूल कर लिया। उसने बताया कि वे सब्बल के सहारे खिड़की की ग्रिल हटाकर घर में घुसे थे। वादी की मां जाग गईं, तो सिर पर ईंट मारकर हत्या कर दी। भाई-भाभी को भी सब्बल व ईंटों से कूंचकर मार डाला था।

छैमार…यानी छह वार कर हत्या करने वाला गिरोह
डकैती के मामलों में सबसे खतरनाक छैमार गिरोह मूलरूप से पंजाब के खानाबदोश हैं। गिरोह के बदमाश लोगों को मारने के लिए सिर पर छह वार करते हैं। इसलिए इस गैंग का नाम छैमार है। दोषियों में नाजिमा व हाशिमा सास-बहू हैं। बाकी भी आपस में रिश्तेदार हैं।

सब्जी बेचने के बहाने की थी रेकी
हसीन, नाजिमा, हाशिमा, यासीन ने हत्या से पूर्व सब्जी बेचने के बहाने उनके घर के आसपास घूमकर रेकी की थी। वे दूसरे बहानों से भी रविकांत मिश्रा के घर के आसपास घूमकर गतिविधियों की टोह लेते थे। अदालत में महिलाओं की गवाही दोष सिद्ध करने का महत्वपूर्ण आधार बनी।

निर्दोष की हत्या न हो… इसलिए मृत्युदंड जरूरी
विशेष न्यायाधीश रवि कुमार दिवाकर ने कहा कि कुछ हत्याएं तो अत्यंत पाश्विक ढंग से होती हैं, जैसा कि इस मामले में हुआ। समाज में किसी निर्दोष की हत्या न हो, इसलिए अदालतों को ऐसे मामलों में मौत की सजा अवश्य देनी चाहिए। यदि सामूहिक हत्यारे को न्यायालय द्वारा सामूहिक दंड नहीं दिया जाता है, तो निश्चय ही मृतक का परिवार कानून हाथ में लेकर अपराधियों से बदला लेने के लिए विवश होगा।

न्यायाधीश दिवाकर का एक और महत्वपूर्ण फैसला 
न्यायाधीश रवि दिवाकर ने ही दो दिन पहले आईएमसी प्रमुख मौलाना तौकीर रजा खां को 2010 के बरेली दंगे का मास्टरमाइंड घोषित कर तलब किया है। वाराणसी के ज्ञानवापी मामले में सर्वे का पहला आदेश देने के बाद वह लगातार सुर्खियों में हैं।

अस्सी लाख से ज्यादा की डाली थी डकैती
सूत्रों के मुताबिक उस वक्त पीड़ित परिवार ने लूटी गई रकम को लेकर स्पष्ट धनराशि का उल्लेख रिपोर्ट में नहीं किया था पर परिवार की महिलाओं का सारा जेवर और कुछ लाख की नगदी बदमाश ले गए थे। तत्कालीन पुलिस अधिकारियों के मुताबिक करीब अस्सी लाख रुपये से ज्यादा की डकैती पड़ी थी। पांच दिनों ही जेवर बेचकर आरोपियों ने रकम भी बांट ली थी। पुलिस ने दावा किया था कि करीब अस्सी फीसदी जेवर व रकम बरामद कर ली गई थी।

गवाही देने आए थे रविकांत
मुकदमे के वादी रविकांत मिश्रा पीलीभीत में आयकर अधिकारी के पद पर तैनात हैं। वह डेढ़ महीने पहले यहां गवाही देने आए थे। बृहस्पतिवार को सजा हुई तो परिवार का कोई सदस्य मौके पर मौजूद नहीं था। रविकांत के बड़े भाई देवेश मिश्रा भी प्रोफेसर हैं और परिवार के साथ बाहर रहते हैं।

वारदात से सहम गए थे कॉलोनी वाले
सुरेश शर्मा नगर के जिस परिवार में यह घटना हुई थी, उसके बाकी लोग दूसरे शहरों में रह रहे हैं। दोषियों को सजा सुनाए जाने के दौरान भी पीड़ित परिवार सामने नहीं आया। सुरेश शर्मा नगर स्थित उनके घर में किरायेदार रहते हैं। परिवार कभी-कभार यहां आता है।

पुलिस पहुंची तो कॉलोनी वालों को इसकी जानकारी हुई। लोग दहशत में आ गए थे। खुलासे में पता लगा कि कई दिन रेकी करके घटना की गई थी, इसलिए और ज्यादा खौफ झेला। आईजी से कमिश्नर तक ऐसा कोई अधिकारी नहीं, जो उन दिनों कॉलोनी में न आए हों। लगातार कई महीने तक पिकेट तैनात रही थी। आज भी जब वह दिन याद आता है तो सिहर जाते हैं। कहा कि आज उन्हें संतोष मिला है।

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