Tehri Garhwal: शासनादेशों को ताक पर रखकर हो रहे स्थानांतरण, कर्मचारियों द्वारा कार्य बहिष्कार
टिहरी गढ़वाल: खबर जनपद टिहरी गढ़वाल से है जहां उत्तराखंड चतुर्थ वर्गीय राज्य कर्मचारी महासंघ के कर्मचारियों ने प्रशासन पर कर्मचारी प्रकरणों में अनावश्यक विलंब और अनदेखी का आरोप लगाते हुए 8 अगस्त से कार्य बहिष्कार करने का फैसला लिया है। जिसकी संभावनाओं के बारे में 3 अगस्त से महासंघ द्वारा प्रशासन को (पत्रांक 12 द्वारा) सूचित किया जा रहा है। लेकिन जब महासंघ को अपनी अनदेखी और शासनादेशों के विरुद्ध किए जा रहे स्थानांतरण पर कोई कार्यवाही प्रतीत नहीं हुई तो पत्रांक 13 के जरिए प्रशासन को सूचित करते हुए 8 अगस्त से कार्य बहिष्कार का फैसला लिया गया है।
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आपको बताते चलें कि जिला प्रशासन द्वारा कुछ समय पहले विभागीय स्थानांतरण किया गया था। जिसके बाद महासंघ के कर्मचारियों द्वारा शासनादेश का हवाला देते हुए स्थानांतरण निरस्त करने का निवेदन जिलाधिकारी टिहरी को किया गया था। उक्त प्रकरण पर महासंघ के प्रतिनिधि मंडल द्वारा जिलाधिकारी के साथ भेंट वार्ता भी की गई थी। भेंट वार्ता के समय ही जिलाधिकारी द्वारा आवश्यक अभिलेख मांगे गए थे जिनको महासंघ द्वारा तुरंत उक्त समय में ही उपलब्ध करा दिया गया था। इसी क्रम में कथित रूप में जिलाधिकारी द्वारा प्रतिनिधिमंडल को स्थानांतरण निरस्त करने का आश्वासन भी दिया गया लेकिन उक्त प्रकरण में आगे कोई कार्यवाही ना होने पर कर्मचारियों में रोष ने अब बढ़ते हुए कार्य बहिष्कार का रूप ले लिया है। कर्मचारियों ने प्रशासन पर अनावश्यक विलंब का आरोप लगाते हुए बड़ा फैसला लिया है।
इस पूरे प्रकरण को इस तरह से समझा जा सकता है की,
- प्रशासन द्वारा स्थानांतरण के तहत उत्तराखंड चतुर्थ वर्गीय राज्य कर्मचारी महासंघ के जिलाध्यक्ष का स्थानांतरण जिला मुख्यालय से बाहर किया गया, जबकि कर्मचारी महासंघ द्वारा इसको सीधे तौर पर शासनादेशों का उल्लंघन बताते हुए इसका लगातार विरोध किया जा रहा है।
- जिलाधिकारी से महासंघ के प्रतिनिधिमंडल की भेंट वार्ता की गई जिसमें आवश्यक अभिलेख मांगने और उपलब्ध कराने के बाद कथित रूप से जिलाधिकारी द्वारा प्रतिनिधि मंडल को स्थानांतरण निरस्त किए जाने का आश्वासन भी दिया गया था लेकिन उक्त प्रकरण पर कोई कार्यवाही ना होने से महासंघ कर्मचारियों में खासा रोष देखा जा सकता है।
- आश्वासन के 2 हफ्ते बीत जाने के बाद भी प्रकरण पर कोई निराकरण नहीं होने से एक बार फिर महासंघ के प्रतिनिधि मंडल द्वारा 1 अगस्त को जिलाधिकारी से भेंट वार्ता की गई जिसमें दोबारा पूरे मामले से संबंधित पत्रावली को उपलब्ध कराया गया। लेकिन जिलाधिकारी के आश्वासन और दोबारा भेंट वार्ता के बाद भी कोई सकारात्मक पहल नहीं हुई है।
- जिलाधिकारी द्वारा महासंघ को अपर जिलाधिकारी से वार्ता हेतु निर्देशित किया गया। इसी क्रम में प्रतिनिधि मंडल द्वारा अपर जिलाधिकारी से भी वार्ता की गई जिस पर कथित रूप से अपर जिलाधिकारी द्वारा भी न्यायोचित कार्यवाही का आश्वासन दिया गया था।
- लेकिन जिस तरह से इस प्रकरण पर संज्ञान लिया जा रहा है उसको लेकर महासंघ ने अनावश्यक विलंब का आरोप लगाया है।
- इस पूरे प्रकरण में जिलाधिकारी टिहरी (पत्रांक 12/ दिनांक 3/08/22) को दिए गए ज्ञापन के अनुसार पूरे प्रकरण को क्रमबद्ध बताया गया है और अवगत कराया गया है कि 7 अगस्त तक उक्त आदेश के निरस्तीकरण आदि पर कोई कार्यवाही नहीं होती है तो 8 अगस्त से महासंघ के कर्मचारी कार्य बहिष्कार के लिए बाध्य होंगे और सारी जिम्मेदारी प्रशासन की रहेगी।
- किसी तरह की कोई पहल ना होने के बाद महासंघ द्वारा एक अन्य पत्रांक 13/ दिनांक 6/08/22 जिलाधिकारी के नाम दिया गया है जिसमें नियम विरुद्ध हुए स्थानांतरण को लेकर कोई सकारात्मक पहल ना होने से अपनी नाराजगी जताई और दो अन्य कर्मचारियों के निवेदन को भी अग्रसारित किया है।
- महासंघ के द्वारा दिए गए पत्रांक 12, दिनांक 3 अगस्त को यथास्थिति रखते हुए दिनांक 8 अगस्त से कार्य बहिष्कार बताया गया है।
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इस पूरे प्रकरण में कुछ सवालों का उठना तो लाजमी है कि जिलाधिकारी, अपर जिलाधिकारी के सीधा संज्ञान में रहने के बाद भी शासनादेशों के विरुद्ध हुए इस कथित स्थानांतरण प्रकरण को लेकर कोई कार्यवाही क्यों नहीं हुई जबकि महासंघ (चतुर्थ वर्गीय राज्य कर्मचारी महासंघ) कर्मचारी लगातार प्रशासन के संपर्क में थे। जबकि महासंघ द्वारा तीन से चार दौर की वार्ता जिलाधिकारी व अपर जिलाधिकारी से की गई थी। अगर स्थानांतरण प्रक्रिया में कुछ गलत नहीं था तो महासंघ को लगातार कथित आश्वासन क्यों दिए गए। जब महासंघ द्वारा लगातार किसी बड़े कदम की संभावना जताई जा रही थी तो कोई पहल क्यों नहीं की गई।