नई दिल्ली। मां कालिकन धाम (Kalikan Dham Temple) की महिमा अपार है। यह मंदिर अमेठी के संग्रामपुर ब्लॉक में स्थित है। यह मंदिर मां कालिकन को समर्पित है। इस धाम को लेकर ऐसा कहा जाता है कि यहां भक्तों की सभी समस्याओं का अंत होता है। इसके साथ ही जीवन में आने वाले संकटों का भी नाश होता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, च्यवन मुनि ने यहां तपस्या की थी, जिसके बारे में शास्त्रों में भी लिखा है।
शुक्रवार के दिन करें इस स्तोत्र का पाठ
कालिकन धाम का दिव्य कुंड
कालिकन धाम (Kalikan Dham Temple) के परिसर में एक चमत्कारी कुंड मौजूद है, जिसको लेकर लोगों की कई तरह की मान्यताएं हैं। ऐसा माना जाता है कि इसके पवित्र और शुद्ध जल में स्नान करने से आंखों से जुड़ी बीमारियां दूर हो जाती हैं। मां कालिकन धाम की महिमा इतनी ज्यादा अपार है कि यहां आने वाले भक्तों को कभी खाली हाथ नहीं लौटना पड़ता है। एक बार मात्र दर्शन करने से लोगों की भारी से भारी समस्याएं दूर हो जाती हैं।
क्या कहती हैं मान्यताएं ?
पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां कालिकन धाम को लेकर ऐसा कहा जाता है कि यह महर्षि च्यवन मुनि की तपोस्थली है। यहां तप करते हुए च्यवन मुनि इतने ज्यादा लीन हो गए थे कि उनके पूरे शरीर पर दीमक लग गया था। तभी उनके दर्शन के लिए अयोध्या के राजा सरयाज अपने परिवार सहित पहुंचे, जहां उनकी पुत्री सुकन्या ने अनजाने में दीमकों को साफ करने का प्रयास किया, जिससे महर्षि की आंख फूट गई और उनकी तपस्या भंग हो गई। क्रोध में आकर उन्होंने राजकुमारी को श्राप दे दिया।
अपने श्राप के प्रभाव को कम करने और उसका पश्चाताप करने के लिए राजकुमारी वहीं रहकर महर्षि की सेवा करने लगी। यह सब देखकर अश्विन कुमारों ने यहां पर एक दिव्य कुंड की स्थापना की, जिसमें स्नान करने के बाद महर्षि की आंख ठीक हो गई और वह फिर से युवा बन गए। तभी से इस मंदिर को लेकर यह मान्यता है कि यहां आखों से संबंधित बीमारियां ठीक होती हैं।