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दयानिधि मारन के संस्कृत भाषा को लेकर दिए बयान से संस्कृत प्रेमियों में रोष

Dayanidhi maran sanskrit-min
  • संस्कृत का विरोध, भारत और भारतीयता का विरोध जो कदापि स्वीकार्य नहीं: द्वितीय राजभाषा संस्कृत परिषद उत्तराखण्ड

देहरादून। देवभूमि उत्तराखण्ड में सभी संस्कृत प्रेमियों, प्रदेश के समस्त संस्कृत महाविद्यालय-विद्यालयों, सामान्य शिक्षा के शिक्षण संस्थानों, संस्कृत भारती सहित संस्कृत के सभी संगठनों ने एक मंच पर आकर संसद सत्र में द्रमुक सांसद दयानिधि मारन द्वारा संस्कृत भाषा को लेकर दिए गए बयान पर घोर आपत्ति जताई तथा जनता से क्षमा मांगने की मांग की।

आरएसएस के अनुसांगिक संगठन संस्कृत भारती के प्रांतीय संगठन मंत्री गौरव शास्त्री ने बयान की कड़ी निंदा करते हुए कहा भारत की संसद में एक जिम्मेदार व्यक्ति के द्वारा भारत की आत्मा संस्कृत के प्रति इस प्रकार के बयान कदापि स्वीकार्य नही हो सकते हैं जिस व्यक्ति के नाम में ही संस्कृत है दयानिधि शब्द संस्कृत का शब्द है वही व्यक्ति संस्कृत को अप्रासंगिक बता रहा है जो अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है गौरव शास्त्री ने सांसद दयानिधि मारन के बयान को घोर निंदनीय और आपत्तिजनक करार देकर भारत की अस्मिता, संस्कृति और सभ्यता के खिलाफ बताया तथा जनता से क्षमा मांगने की मांग की। वहीं संस्कृत भारती के प्रांत मंत्री डॉ.गिरीश तिवारी ने कहा कि सभी संस्कृत प्रेमियों को एक मंच पर आकर इस प्रकार के वक्तव्यों का पुरजोर विरोध करना होगा।

संस्कृत विद्यालय- महाविद्यालय शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष तथा संस्कृत भारती के देहरादून जिलाध्यक्ष डॉ. रामभूषण बिजल्वाण ने कहा कि सांसद के द्वारा दिया गया बयान निन्दनीय है। जिनका नाम दयानिधि जो कि संस्कृत का ही शब्द है जिस पार्टी से वह आते हैं उस पार्टी के नाम में संस्कृत शब्द है और वही व्यक्ति संस्कृत विरोधी विचार से प्रेरित होकर इस प्रकार की प्रतिकूल टिप्पणी कर समझ से परे है। इस तरह के बयानों से व्यर्थ की राजनीति करना एक सम्मानित सांसद को शोभा नहीं देता डॉ बिजल्वाण ने आगे कहा कि संस्कृत वह हिमालयी भाषा है। जिसकी पिघलन से भारतीय भाषाओं की नदियाँ समृद्ध होती हैं।

संस्कृत का संरक्षण न केवल संस्कृत, बल्कि भारतीय भाषाओं की समृद्धि के लिए भी आवश्यक है। भारत के विभिन्न प्रदेशों ने सामाजिक, राजनीतिक आध्यात्मिक, कला, साहित्य में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। जिसे सेतुभाषा के रूप में संस्कृत भाषा ने जोड़ने का काम किया है। धर्मशास्त्र, अर्थशास्त्र, कामशास्त्र और मोक्षशास्त्र संस्कृत में ही लिखे गए हैं। बौद्ध-जैन साहित्य के हजारों ग्रन्थ भी संस्कृत में लिखे गए हैं। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला जी ने मारन की टिप्पणी का विरोध करते हुए सही कहा कि यह भारत देश है, जिसकी मूल भाषा संस्कृत है। सम्पूर्ण सस्कृत जगत ने ओम बिड़ला जी की प्रसंशा करते हुए उनका आभार व्यक्त किया है।

एक मंच पर आकर संगठनों ने चेतावनी दी है कि यदि उन्होंने जल्द ही अपने बयान पर माफी नहीं मांगी, तो पूरे प्रदेश के जिला मुख्यालयों में उनके खिलाफ आन्दोलन किया जाएगा। इसी क्रम में संस्कृत महाविद्यालय शिक्षक संघ प्रदेश महामंत्री डॉ. कुलदीप पंत, प्रबंधकीय संस्कृत संघ के अध्यक्ष डॉ. जनार्दन कैरवान् तथा डॉ. भगवती बिजल्वाण ने भी सांसद के बयान पर घोर आपत्ति जताते हुए कहा कि प्रदेश भर में इसके लिए व्यापक आक्रोश रैली निकालकर जिलाधिकारी के माध्यम से महामहिम राष्ट्रपति को ज्ञापन प्रेषित किया जाएगा जिसमें माननीय लोकसभा स्पीकर का धन्यवाद और सांसद दयानिधि मारन की घोर निंदा की जाएगी।

संघ नगर कार्यवाह जोशीमठ एवं महाविद्यालय जोशीमठ के प्राचार्य डॉ. द्रवेश्वर थपलियाल ने कहा कि वसुधैव कुटुम्बकम् की उद्घोषणा करने वाली संस्कृत भाषा किसी का विरोध नहीं करती। क्योंकि यह किसी को पराया नहीं समझती। इसलिए जनता की भावनाओं, संस्कृति, समाज को देखते हुये इस तरह के विरोधी बयान देने से बचना चाहिये। गूगलमीट पर हुई बैठक का संचालन डॉ. प्रदीप सेमवाल जिला मंत्री संस्कृत भारती देहरादून ने किया। ऑनलाइन मीटिंग में प्रदेश के सभी जनपदों से जुड़े संस्कृत प्रेमी संगठनों के सदस्यों में डॉ. वेदव्रत आर्य, डॉ. नीतू बलूनी, डॉ मीनाक्षी कोठारी, डॉ. राजेन्द्र भट्ट हल्द्वानी से डॉ. राजेन्द्र गैरोला टिहरी से डॉ. द्वारिका प्रसाद नौटियाल उत्तरकाशी डॉ. नवीन जसोला सहित कई संस्कृत प्रेमी बैठक में जुड़ें।

संस्कृत, सस्कृति और तमाम संस्कृत ग्रन्थों और हमारे गौरव का अपमान बताते हुए कहा कि कुछ लोग सनातन संस्कारों और मूल्यों को नष्ट करने की साजिश रच रहे हैं, जिसमें वे कभी सफल नहीं होंगे। संस्कृत अनुरागियों को इस बयान से बहुत ठेस पहुँची है जिससे पूरे देश में बयान की निंदा हो रही है। संस्कृत जगत के विद्वान आचार्य, प्राचार्य व प्रोफेसर सहित केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय तथा राज्यों के संस्कृत विश्वविद्यालयों के कुलपति दयानिधि मारन के बयान की घोर निंदा कर चुके हैं।

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