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विश्व रीसायक्लिंग दिवस के मौके पर आरएलजी और पीटीसीसी ने आयोजित किया प्रेरक सम्मेलन

world recycling day

नई दिल्ली: विश्व रीसायक्लिंग दिवस (world recycling day) के मौके पर रिवर्स लॉजिस्टिक्स ग्रुप (आरएलजी) ने पॉलिसी टाईम्स चैम्बर ऑफ कॉमर्स (पीटीसीसी) के सहयोग से एक सम्मेलन ‘रोल ऑफ ईपीआर ऑन सर्कुलर इकोनोमी एण्ड पोस्ट-रीसायकल्ड मार्केट’ का आयोजन किया। सम्मेलन का आयोजन 21 मार्च को नई दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर (आईआईसी) में किया गया, जिसने देश में संसाधनों की दक्षता एवं सर्कुलर इकोनोमी के महत्व पर रोशनी डाली।

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सम्मेलन का आयोजन मुख्य अतिथियों एवं दिग्गजों (world recycling day) की मौजूदगी में हुआ। इनमें शामिल थे लेबोहेंगे वैलेंटाईन मोचाबा, लेसोथो गणराज्य के उच्चायुक्त; डॉ हनीफ़ कुरेशी, अपर सचिव, भारी उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार; डॉ नितिन रमेश गोकर्न, आईएएस, अपर मुख्य सचिव एवं प्रधान सचिव, आवास एवं शहरी नियोजन विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार; वेद प्रकाश मिश्रा, डायरेक्टर, हाज़ार्डस सब्सटेन्स मैनेजमेन्ट डिविज़न, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार; प्रोफेसर शिशिर सिन्हा, डायरेक्टर जनरल, सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ प्लास्टिक्स इंजीनियरिंग एण्ड टेक्नोलॉजी; डॉ आर रथीश, डायरेक्टर, सेंटर फॉर मटीरियल्स फॉर इलेक्ट्रोनिक्स टेक्नोलॉजी।

आयोजन सचिव अक्रम हॉक, पॉलिसी टाईम्स चैम्बर ऑफ कामर्स के सचिव तथा मिस राधिका कालिया, एमडी, आरएलजी सिस्टम्स इंडिया ने सभी हितधारकों, नीति निर्माताओं, उद्योग जगत के विशेषज्ञों एवं प्रतिभागियों का स्वागत किया। स्थायी विकास के लिए संसाधानों की दक्षता के महत्व पर रोशनी डालते हुए सम्मेलन के दौरान उद्योग जगत के दिगजों एवं नीति निर्माताओं ने विशेष सभा का आयोजन किया। उद्योग जगत के दिग्गजों ने मौजूदा ईपीआर नियमों की प्रभाविता का मूल्यांकन किया तथा विश्वस्तरीय दृष्टिकोण पर चर्चा की। उन्होंने भारत को सबसे बड़ा पोस्ट-रीसायकल्ड मार्केट बनाने के लिए हितधारकों की भूमिका एवं सामुहिक प्रयासों की आवश्यकता पर ज़ोर दिया।

इसके अलावा भारत के महत्वाकांक्षी नेट-ज़ीरो मिशन (पंचामृत उद्देश्यों के माध्यम से) और सर्कुलर इकोनोमी पहलों के ढांचे में ईपीआर को शामिल करने के महत्व पर चर्चा की। सीओपी 26 में घोषित पंचामृत उद्देश्यों ने देश के नेट-ज़ीरो लक्ष्यों को हासिल करने के भारत के प्रयासों को गति प्रदान की है। साथ ही भारत ने 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन क्षमता को 500 गीगावॉट तक बढ़ाने के लिए अपने समर्पण की पुष्टि की है, साथ ही इसी साल तक अपनी 50 फीसदी उर्जा आवश्यकताओं को नवीकरणीय उर्जा के माध्यम से पूरा करने के प्रयास किए जाएंगे। इस संदर्भ में सम्मेलन ने भारत के तीव्र ओद्यौगिकीकरण एवं शहरीकरण में आने वाली चुनौतियों और इनके लिए आवश्यक बहु-आयामी नीतियों पर रोशनी डाली।

चर्चा के दौरान देश में नवीकरणीय उर्जा एवं पंचामृत उद्देश्यां के माध्यम से संसाधनों की दक्षता हासिल करने एवं सर्कुलर इकोनोमी के निर्माण के लिए बहु-आयामी दृष्टिकोण के महत्व पर ज़ोर दिया, जो कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने, ईपीआर अनुपालन, विकार्बोनीकरण के लिए सेक्टर-विशिष्ट रणनीतियों में कारगर होगा। सम्मेलन ने गैर-नवीकरणीय उर्जा स्रोतों पर निर्भरता कम करने के महत्व पर भी ज़ोर दिया। सर्कुलर इकोनोमी के निर्माण, खासतौर पर प्लास्टिक, इलेक्ट्रोनिक्स, बैटरी व्यर्थ तथा खत्म हो चुके वाहनों एवं टायरों के प्रबन्धन में ईपीआर की भूमिका के महत्व पर रोशनी डाली।

मिस राधिका कालिया, एमडी, आरएलजी सिस्टम्स इंडिया ने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि ईपीआर, स्थायी प्रथाओं जैसे रीसायक्लिंग, पुनः उपयोग एवं पर्यावरण अनुकूल डिज़ाइन के माध्यम से नीतिगत ढांचे के दायरे से बाहर जाकर भारत को स्थायी एवं सर्कुलर इकोनोमी बनाने में कारगर होगा। नीति आयोग के सिद्धान्तों एवं सर्कुलर इकोनोमी के संदर्भ में संसाधन दक्षता हासिल करने के लिए हमें ऐसा दृष्टिकोण अपनाना होगा जो व्यर्थ को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाए। अनौपचारिक स्क्रैप मार्केट की चुनौतियों को हल करना तथा सरकारी पहलों एवं विनियमों के बीच तालमेल बनाना हमारे सर्कुलर इकोनोमी के लक्ष्यों को साकार करने में कारगर हो सकता है।

हमारे सम्मेलन में आज उद्योग जगत के दिग्गजों और नीति निर्माताओं ने सेक्टर विशिष्ट रणनीतियों तथा सर्कुलर इकोनोमी के निर्माण में ईपीआर की भूमिका पर रोशनी डाली। इस तरह के मंच आधुनिक समाधानों की खोज तथा आपसी सहयोग के महत्व पर रोशनी डालते हैं। सम्मेलन में की गई चर्चा और इसके परिणाम भारत के लिए स्थायी भविष्य के निर्माण की दिशा में हमारी सामुहिक प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हैं।’’

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