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रक्षाबंधन : इस वर्ष भद्रा का साया न होने से दिनभर राखी बांधने के लिए बहनें स्वतंत्र

ACHARYA CHANDI PRASAD GHILDIYALदेहरादून। इस वर्ष रक्षाबंधन का त्यौहार श्रावण शुक्ल पूर्णमासी 9 अगस्त को शनिवार के दिन मनाया जाएगा। शुक्रवार की रात्रि को ही भद्रा की समाप्ति की वजह से इस बार भद्रा का कोई साया न होने से बहनें दिन भर भाइयों की कलाई पर राखी बांधने के लिए स्वतंत्र हैं।

उत्तराखंड ज्योतिष रत्न आचार्य डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल ‘दैवज्ञ’ मुहूर्त विश्लेषण करते हुए बताते हैं कि राखी बांधने का शुभ मुहूर्त सुबह 5 बजकर 35 मिनट से दोपहर 1 बजकर 24 मिनट तक रहेगा। उन्होंने कहा कि निम्नलिखित मंत्र से राखी को अभिमंत्रित करके बांधना चाहिए।

येन बद्धो बलिराजा दानवेन्द्रो महाबल:।
तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।

राखी सर्वप्रथम भगवान को

समस्त धर्म शास्त्रों के मर्मज्ञ आचार्य दैवज्ञ बताते हैं कि राखी बांधने की शुरुआत भगवान को राखी बांधकर करनी चाहिए। इसका मुहूर्त ‌ प्रातः 4:22 बजे से 8 बजे तक रहेगा।

9 अगस्त को ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4 बजकर 22 मिनट से 5 बजकर 04 मिनट तक है. वहीं मनुष्यों पर राखी बांधने के लिए सबसे उत्तम अभिजीत मुहूर्त, दोपहर 12 बजे से 12 बजकर 53 मिनट तक रहेगा

श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि 8 अगस्त 2025 को दोपहर 2 बजकर 12 मिनट से आरंभ हो रही है, जो 9 अगस्त को दोपहर 1 बजकर 24 मिनट पर समाप्त हो रही है। उदया तिथि के हिसाब से रक्षाबंधन का पर्व 9 अगस्त 2025 को मनाया जाएगा।

पहली राखी पत्नी ने पति को बांधी

शिक्षा एवं संस्कृत शिक्षा विभाग के सहायक निदेशक डॉक्टर दैवज्ञ बताते हैं कि एक बार देवराज इंद्र जब असुरों से युद्ध में हारने लगे, तब उन्होंने गुरु बृहस्पति से सलाह ली. उस समय श्रावण पूर्णिमा का दिन था. देवगुरु बृहस्पति की सलाह पर इंद्र की पत्नी शचि (इंद्राणी) ने एक रक्षासूत्र बनाया और वह मंत्रों से सिद्ध करके इंद्र की कलाई पर बांध दिया. इसके प्रभाव से इंद्र ने युद्ध में विजय प्राप्त की. इस प्रकार सबसे पहली राखी इंद्राणी ने इंद्र को बांधी थी, और तभी से यह परंपरा चली आ रही है. जिसमें एक रक्षा-सूत्र, प्रेम, आशीर्वाद और सुरक्षा का प्रतीक बन गया. यह केवल भाई-बहन का त्योहार नहीं, बल्कि रक्षा और विश्वास का प्रतीक भी है, चाहे वह किसी भी रूप में हो.

राखी का सामाजिक स्तर

देशवासियों एवं प्रदेशवासियों को रक्षाबंधन के त्यौहार की शुभकामनाएं देते हुए डॉ दैवज्ञ कहते हैं कि राखी सामान्यतः बहनें भाई को ही बाँधती हैं, परन्तु ब्राह्मणों, गुरुओं और परिवार में छोटी लड़कियों द्वारा सम्मानित सम्बंधियों (जैसे पुत्री द्वारा पिता को) भी बाँधी जाती है। कभी-कभी सार्वजनिक रूप से किसी नेता या प्रतिष्ठित व्यक्ति को भी राखी बाँधी जाती है। रक्षाबंधन के दिन भाई को अपनी बहन को राखी के बदले अपनी समर्थ के अनुसार उपहार अवश्य देना चाहिए।

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