देहरादून। आगामी वर्ष 2024 हेतु राज्य में 29 सार्वजनिक अवकाश की सूची में भगवान श्रीविष्णु के छटें अवतार (Lord Parshuram Jayanti) भगवान परशुराम जयंती पर इस बार भी शामिल न किए जाने पर ब्राह्मण समाज में व्यापक आक्रोश व्याप्त है। उल्लेखनीय है कि परशुराम जयंती पर सार्वजनिक अवकाश की मांग ब्राह्मण समाज द्वारा लम्बे समय से उत्तराखंड की सरकारों से की जाती रही है। एक दर्जन से अधिक ब्राह्मण संगठनों के घटक मंच “ब्राह्मण समाज महासंघ” के प्रतिनिधि मंडल ने मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी जी से भेंट कर इस संबंध में एक ज्ञापन देते हुए परशुराम जयंती पर सार्वजनिक अवकाश की मांग की थी। जिस पर उन्होंने आश्वत किया था।
महासंघ के अध्यक्ष प्रमोद मेहता ने हाल ही घोषित अगले वर्ष के सार्वजनिक अवकाश में भगवान श्री परशुराम जयंती (Lord Parshuram Jayanti) अवकाश शामिल न किए जाने पर राज्य सरकार पर ब्राह्मणों की उपेक्षा किए जाने की बात कही है। श्री मेहता ने कहा है कि राज्य में 30 प्रतिशत आबादी वाले ब्राह्मण समाज में इस को लेकर व्यापक आक्रोश व्याप्त है।
अखिल भारतीय ब्राह्मण एकता परिषद, के प्रदेश महामंत्री एवम महासंघ के पूर्व प्रवक्ता डॉ. वी डी शर्मा ने कहा है कि देश के बड़े राज्यों उप्र, राजस्थान, मप्र, हिमाचल व हरियाणा में परशुराम जयंती पर सार्वजनिक अवकाश हो सकता है, तो ब्राह्मण बहुल देवभूमि उत्तराखंड में क्यों नहीं? हाल ही घोषित सार्वजनिक अवकाश की सूची में समाज के आराध्य महावीर जयंती, बुद्ध पूर्णिमा, गुरु गोविंद सिंह, गुरु नानक, गुरु तेग बहादुर, चेटी चंद, विश्वकर्मा पूजा, महर्षि वाल्मीकि जयंती, अंबेडकर जयंती आदि पर सार्वजनिक अवकाश घोषित हो सकता है तो भगवान परशुराम जयंती पर सार्वजनिक अवकाश क्यों नही? यह ब्राह्मण समाज की भावनाओं की उपेक्षा नहीं तो क्या है।
डॉ. शर्मा ने माननीय मुख्यमंत्री, उत्तराखंड से मांग की है कि संपूर्ण समाज को दिशा व मार्गदर्शन देने वाले ब्राह्मण समाज की भावनाओं को सम्मान दें। विप्र समाज महासंघ के राष्ट्रीय संयोजक विशाल शर्मा ने कहा है कि उत्तराखंड में 35 प्रतिशत की ब्राह्मण आबादी की भावनाओं की उपेक्षा आगामी लोकसभा चुनाव में मंहगी पड़ सकती है। भगवान विष्णु के अवतार भगवान परशुराम के जन्मोत्सव पर तत्काल सार्वजनिक अवकाश घोषित कर जनभावनाओं का सम्मान करें।