देहरादून। चुनाव के दौरान हर बार नेता बड़े-बड़े वादे (Mahavir Prasad) करते हैं, लेकिन चुनाव बाद उन्हें कोई सरोकार नहीं होता है। पिछले कई साल से पेयजल सहित कई समस्याएं जस की तस हैं, लेकिन कोई इस ओर देखता ही नहीं है, ईआरसीपी से जरूर हालांकि उम्मीद बंधी है। कुछ ऐसी ही चर्चा दर्शनी गेट के मुख्य बाजार में चाय की थड़ी पर लोग कर रहे थे। जब उनसे पूछा कि क्या-क्या समस्याएं हैं तो बोले ये पूछो क्या समस्या नहीं है। पानी, चिकित्सा, सार्वजनिक परिवहन, शिक्षा, रोजगार कुछ भी तो पूरा नहीं है।
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लालचंद, महावीर प्रसाद (Mahavir Prasad) बोले कि ग्रामीण इलाकों में खास तौर पर पहाड़ों में रोजगार की उचित व्यवस्था नहीं होने से युवाओं को शहरों की तरफ पलायन करना पड़ रहा है। स्थानीय स्तर पर ही युवाओं के लिए रोजगार की व्यवस्था की जानी चाहिए। मोहनलाल बोले कि लगता है इस बार लोकसभा चुनाव में भी जातिगत समीकरण हावी रहेंगे।
आजकल जाति की राजनीति होने लग गई है। किसी ने कहा कि पीने का पानी की कमी सबसे गंभीर समस्या है तो किसी ने कहा कि क्षेत्र में पीजी स्तर का महिला महाविद्यालय होना चाहिए और सरकारी बीएड कॉलेज खोला जाना चाहिए। गरीब तबके के विद्यार्थियों के मोटी फीस देनी पड़ती है। जीत को लेकर अपने-अपने कयास लगाने के बाद यहां नेताओं का दूसरी पार्टी में शामिल होना भी लोगों में खासा चर्चा में था। पीएम की सभा का भी लोगों ने जिक्र किया।
क्षेत्र के ये हैं तीन प्रमुख मुद्दे…
पेयजल की गंभीर समस्या
रोजगार व उच्च शैक्षणिक संस्थानों की कमी
चिकित्सा व्यवस्थाओं में कमी