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जम्मू कश्मीर :लोकसभा के साथ विधानसभा चुनाव न कराने से विपक्ष नाराज

Lok sabha election

जम्मू-कश्मीर: में लोकसभा चुनाव के साथ विधानसभा चुनाव (Lok sabha election) न कराए जाने पर प्रदेश के विपक्षी दलों ने नाराजगी जाहिर की है। नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां), पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी), कांग्रेस, जम्मू-कश्मीर पीपुल्स कॉन्फ्रेंस (जेकेपीसी) मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेताओं ने चुनाव आयोग के फैसले पर निशाना साधा है।

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विपक्षी दलों का कहना है कि चुनावों को ठंडे बस्ते में रखकर केंद्र शासित प्रदेश (Lok sabha election) के लोगों को एक महत्वपूर्ण लोकतांत्रिक स्थान से वंचित रखा जा रहा है। हालांकि, भाजपा ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए प्रदेश में विधानसभा चुनाव नहीं कराने के आयोग के कदम का बचाव किया है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रवींद्र रैना ने कहा, हम यह भी चाहते थे कि विधानसभा चुनाव लोकसभा चुनाव के साथ हों। लेकिन, यह चुनाव आयोग का निर्णय है, सुरक्षा की स्थिति वाजिब कारण हो सकती है। यह स्वागत योग्य कदम है।

चुनाव आयोग जम्मू-कश्मीर में एक साथ चुनाव कराने में असमर्थ : उमर
नेकां प्रमुख एवं पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि चुनाव आयोग जम्मू-कश्मीर में एक साथ चुनाव कराने में असमर्थ है, जबकि उसने स्वीकार किया है कि केंद्र शासित प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं। चुनाव आयोग ने शनिवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव लोकसभा चुनाव के बाद होंगे, क्योंकि दोनों का एक साथ आयोजन सुरक्षा की दृष्टि से व्यवहार्य नहीं है। नेकां प्रवक्ता इमरान नबी डार ने कहा, हमें चुनाव आयोग से कोई उम्मीद नहीं, क्योंकि इससे कोई सकारात्मक भावना नहीं आ रही। हम उम्मीद कर रहे थे कि सामान्य ज्ञान कायम रहेगा और यह लोगों को खुद पर शासन करने का अधिकार देगा। लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा नहीं हुआ। चुनाव आयोग दोनों चुनाव एक साथ करा सकता था और सुरक्षा व खर्च से संबंधित बहुत सारे संसाधन बचा सकता था। डार ने कहा, समस्या यह है कि अगर उनके पास इतना सुरक्षा सामान है तो एक साथ विधानसभा चुनाव कराने से कौन रोकता है? यदि यह उपयुक्त अवसर नहीं है जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराने का तो फिर कब?

10 वर्षों से जम्मू-कश्मीर के लोगों को लोकतंत्र से वंचित रखा जा रहा : पीडीपी
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) ने आरोप लगाया कि पिछले 10 वर्षों से जम्मू-कश्मीर के लोगों को रणनीतिक रूप से एक महत्वपूर्ण लोकतांत्रिक स्थान से वंचित किया जा रहा है। यहां तक कि पंचायत और नगरपालिका चुनाव भी नहीं हो रहे, जबकि लोग संसदीय चुनाव कराने की बात कर रहे हैं। पीडीपी प्रवक्ता मोहित भान ने कहा, दुर्भाग्य है कि जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव पर कोई निर्णय नहीं लिया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग जम्मू-कश्मीर के लोगों को लोकतांत्रिक में विश्वास करने के लिए मनाने में विफल रहा है। हमें उस तरह के प्रबंधन और मामलों पर बिल्कुल खेद है, जो आज एक निश्चित राजनीतिक दल की सनक और इच्छा पर चल रहे हैं। हम इस पर कड़ी आपत्ति जताते हैं। पीडीपी नेता नईम अख्तर ने कहा कि जम्मू-कश्मीर को लोकतांत्रिक प्रक्रिया से बहिष्करण का सामना करना पड़ रहा है। हमसे जो छीन लिया गया है, उसे देखते हुए ज्यादा उम्मीदें नहीं थीं और (लोकसभा) चुनाव के बाद भी ज्यादा उम्मीदें नहीं हैं। उन्होंने दावा किया, भाजपा जब उपयुक्त होगी तब चुनाव कराएगी। अख्तर ने कहा, इससे हमें कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा, क्योंकि कोई भी नई सरकार (जम्मू-कश्मीर में) पिछली सरकारों जैसी नहीं होगी। वर्तमान योजना के तहत नई सरकार एक गौरवशाली नगर पालिका भी नहीं है।

चुनाव आयोग ने उम्मीदों पर पानी फेर दिया : जेकेपीसी
सज्जाद लोन के नेतृत्व वाली जम्मू-कश्मीर पीपुल्स कॉन्फ्रेंस (जेकेपीसी) के अनुसार, जब एक चुनाव कराया जा रहा है तो चुनाव आयोग को इसके साथ एक और चुनाव भी कराना चाहिए था। जेकेपीसी के प्रवक्ता अदनान अशरफ मीर ने कहा, हम उम्मीद कर रहे थे कि विधानसभा चुनाव भी एक साथ कराए जाएंगे। दोनों चुनाव एक साथ कराने चाहिए थे। उन्होंने लोकसभा चुनाव की घोषणा का स्वागत करते हुए कहा कि कम से कम पांच साल के अंतराल के बाद जम्मू-कश्मीर में कोई चुनाव हो रहा है। मीर ने कहा, हमें उम्मीद है कि विधानसभा चुनाव भी जल्द होंगे।

प्रदेशवासियों को लोकतंत्र से वंचित करना देश के हित में नहीं : तारिगामी
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के वरिष्ठ नेता एमवाई तारिगामी ने कहा कि चुनाव आयोग द्वारा विधानसभा चुनाव की घोषणा नहीं करना एक बड़ी निराशा है। यह जम्मू-कश्मीर के लोगों के साथ अन्याय है। चुनाव आयोग की हालिया यात्रा से कुछ हद तक उम्मीद जगी थी कि लंबे समय के बाद विधानसभा चुनाव हो सकते हैं, लेकिन उन्हें बहाने से फिर टाल दिया गया है। तारिगामी ने कहा कि जब लोकसभा चुनाव चरणों में कराए जा रहे हैं, तो सुरक्षा को तर्कसंगत बनाया जा सकता है और विधानसभा चुनाव के लिए सुरक्षा के एक बड़े घटक की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा, ये ऐसे बहाने हैं जो स्वीकार्य नहीं हैं। लोगों को लोकतंत्र से वंचित करना देश के हित में नहीं है।

जम्मू-कश्मीर में विस चुनाव का जिक्रतक नहीं किया गया : अपनी पार्टी
जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी के उपाध्यक्ष गुलाम हसन मीर ने कहा कि ऐसा लगता है कि चुनाव आयोग जम्मू-कश्मीर के लोगों को सशक्त नहीं बनाना चाहता है। उन्होंने कहा, हमें उम्मीद थी कि चुनाव आयोग जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव की घोषणा करेगा, लेकिन निराशा हुई, इसका कोई जिक्र नहीं किया गया। ऐसा लगता है कि चुनाव आयोग यहां के लोगों को सशक्त नहीं बनाना चाहता है।

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