वर्तमान समय में भारतीय खेल प्रेमियों का दिल बहुत दुखी है भारतीय कुश्ती की दशा को देखकर पिछले 3 महीनों से हमारे भारतीय पहलवान दिल्ली में जंतर मंतर पर भारतीय कुश्ती संघ की कार्यप्रणाली से दुखी होकर धरना दे रहे हैं। परंतु समस्या का निदान नहीं निकल पा रहा है।
अगर हम भारतीय खेल में कुश्ती के योगदान को देखें तो 1990 से आज तक हम जो विश्व के खेल जगत में एक शक्ति के रूप में उभरे हैं, हम भुला नहीं पाएंगे।
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कुश्ती में भारतीय पुरुषों पहलवान के अलावा महिला भारतीय पहलवानों की योगदान को हम नहीं भूल सकते चाहे, वह साक्षी मलिक, विनेश फोगाट, बबीता आदि ना जाने कितनी प्रतिभाओं ने भारतीय कुश्ती के उत्थान में योगदान दिया। भारतीय कुश्ती में बड़े विश्वास के साथ ग्रामीण अंचलों के अभिभावकों ने अपने युवाओं को अपना भविष्य बनाने के लिए समर्पित किया। परंतु बड़े दुख के साथ आज भारतीय खेल प्रेमी कुश्ती की दशा तथा राजनीतिकरण विवाद होने से ठगा महसूस कर रहा है। आज हम जब हम विश्व खेल जगत में महत्वपूर्ण स्थान बनाने की ओर अग्रसित हो रहे हैं। वही हमारी सरकार नई खेल नीति के तहत सुविधा देने के लिए वचनबद्ध है। फिर यह कैसा भारतीय खेल जगत की महत्वपूर्ण खेल कुश्ती पर एक ग्रहण सा लग गया है।
भारतीय कुश्ती संघ तथा भारतीय पहलवानों के बीच बढ़ता विवाद युवा प्रतिभाशाली पहलवानों के लिए तनाव पूर्ण है। अगले साल राष्ट्रीय खेल होने हैं तथा कई अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताएं होनी है अगर यह विवाद नहीं सुलझा तो भारतीय कुश्ती को बड़ा नुकसान होगा। हम सब खेल प्रेमी यही दुआ करते हैं कि कोई बीच का रास्ता निकले जिससे भारतीय कुश्ती को समस्या से निजात मिले। इस समस्या के समाधान के लिए भारत सरकार को भी मध्यस्था करना जरूरी है जिससे भारतीय कुश्ती की दुनिया में एक अच्छा वातावरण बने तथा प्रतिभावान युवा पहलवान अपना अच्छा भविष्य देख सकें। हम आशा करते हैं की समस्या का समाधान शीघ्र होगा और भारतीय कुश्ती पर आया संकट दूर होगा।
आलोक द्विवेदी (हरिद्वार)