श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय की शैक्षणिक, प्रशासनिक व वित्तीय छवि में सुधार, कुलपति डा0 ध्यानी ने गिनाई उपलब्धिया

टिहरी गढ़वाल: श्रीदेव सुमन उत्तराखण्ड विश्वविद्यालय (Sri Dev Suman Uttarakhand University) के कुलपति डा0 पीताम्बर प्रसाद ध्यानी (Dr. P.P. Dhyani is the Vice Chancellor of Sri Dev Suman Uttarakhand (SDSU) University) ने कुलपति का पदभार ग्रहण करने के तुरन्त बाद आयोजित प्रेस कान्फेंस में पत्रकारों को विश्वविद्यालय के प्रशासनिक एंव आकादमिक ढांचे को दुरस्त करने के साथ साथ परीक्षा प्रणाली में आमूलचूल परिवर्तन कर नकलवीहिन परिक्षायें सम्पादित करवाना और मान्यता प्रणाली को पूर्ण रूप से पारदर्शी, जवाबदेह और भष्ट्राचार मुक्त बनाना आदि अपनी प्राथमिकताओ से अवगत कराया था। इसी संकल्प और दृढ इच्छा शक्ति के साथ अपने दो साल के कार्यकाल में बिना किसी दवाब और भेदभाव के विश्वविद्यालय के अधिनियम, परिनियम तथा अध्यादेशों के उपबन्धों का पूर्ण रूप से संरक्षण और निष्ठा से अनुपालन कर रहे हैं। डा० ध्यानी ने 30 नवम्बर 2019 को कुलपति का पद ग्रहण करने के तुरन्त बाद 01 दिसम्बर 2019 को प्रेस कान्फेंस करते ही अपनी सक्रियता दिखा दी थी।

कुलपति डा0 ध्यानी ने बताया कि पिछले दो वर्षो में विश्वविद्यालय की शैक्षणिक, प्रशासनिक और वित्तीय छवि में काफी सुधार हुआ है। विश्वविद्यालय (sri dev suman university) में नकलवीहिन परीक्षायें करवाने का माहौल, निजी महाविद्यालयों को मानकानुसार कार्य करने की प्रेरणा और विश्वविद्यालय के कर्मचारियों में ईमानदारी और सत्यनिष्ठा से कार्य करने का हौसला बढा है। जो किसी अधिकारी द्वारा लिये गये कठोर निर्णयों और कार्यवाहियों से ही सम्भव हो सकता है। डा0 ध्यानी ने बताया कि सबसे पहले उन्होने विश्वविद्यालय से सम्बन्धित 168 संस्थानों में नकलवीहिन परीक्षायें करवाने के लिए स्वंय 79 महाविद्यालयों में जाकर परीक्षा केन्द्रों का औचक निरीक्षण किया और जिन परीक्षा केन्द्रो में अनिमितताओं के संकेत मिले थे उन 10 परीक्षा केन्द्रो को निरस्त किया। जिससे राज्य में नकलवीहिन परीक्षायें आयोजित करने का सन्देश गया और अच्छा शैक्षणिक माहौल भी बना।

यह भी पढ़े:     नागालैंड फायरिंग में उत्तराखंड का एक जवान शहीद, माँ से किया था जनवरी में घर आने का वादा

विश्वविद्यालय की मान्यता प्रणाली को पारदर्शी, जबावदेही तथा भष्टाचार से मुक्त कराने हेतु ’आनलाईन पोर्टल’ की शुरूआत करवायी और मानक पूरे न करने वाले 136 प्रस्तावों को तुरन्त ही अस्वीकार कर दिया। जिससे फर्जी संस्थान विश्वविद्यालय से मान्यता प्राप्त नही कर सके। साथ ही साथ उन्होने 08 निजी महाविद्यालयो द्वारा तय सीटों से अधिक सीटों पर प्रवेश कराने के कारण निजी महाविद्यालयों पर लगाम कसी और उनकी अग्रिम सत्रों की सीटों को कम कर उन पर स्वीकृत शुल्क संरचना के 30 प्रति छात्र की दर से प्रसमन्न शुल्क आरोपित किया। इस कारण विश्वविद्यालय से सम्बद्ध निजी महाविद्यालयों की मनमर्जी, घालमेल और मिलीभगत पर रोक लगी और विश्वविद्यालय की प्रशासनिक छवि में महत्वपूर्ण सुधार हुआ।

विश्वविद्यालय (sri dev suman university) में सालों से लम्बित बिलों का भुगतान न होने के कारण वह स्वंय वित्त अनुभाग में बैठ गये और 80: लम्बित प्रकरणों का आर0टी0जी0एस0 के माध्यम से भुगतान सुनिश्चित करवाया, जिससे विश्वविद्यालय की वित्तीय छवि में भी सुधार हुआ और कर्मचारियों को तत्परता व ईमानदारी से कार्य करने की प्रेरणा मिली। अब विश्वविद्यालय के अन्दर व्याप्त शैक्षणिक भष्ट्राचार को खत्म करना भी बहुत बडी चुनौती थी। लेकिन उन्होने नियमानुसार अत्यंत कठोर प्रशासनिक निर्णय लिये। पूर्व कुलसचिव को विश्वविद्यालय में अमर्यादित कार्य करने पर कुलसचिव के पदीय दायित्वों से कार्य विरत किया, विश्वविद्यालय के अधिकारियों (उपकुलसचिव, सहायक परीक्षा नियंत्रक, सहायक कुलसचिव) द्वारा नियम विरूद्ध परीक्षा कार्यो हेतु पूर्व में लिये पारिश्रमिक धनराशि की वसूली हेतु निर्णय लिये। निजी संस्थानों में तय सीटों पर अधिक प्रवेश करने पर जांच बैठाने का निर्णय लिया।

sri dev suman university latest news
sri dev suman university latest news

नियम विरूद्ध और अमर्यादित कार्य करने पर एक सहायक परीक्षा नियंत्रक के खिलाफ भी जांच बैठाने का निर्णय लिया, और विश्वविद्यालय में पूर्व में नियुक्त दो सहायक परीक्षा नियंत्रकों के दस्तावेजों की जांच आदि शुरू कर जांच समिति का गठन किया। इन प्रशासनिक निर्णयों के बाद अधिकारियों एंव कर्मचारियों को निष्ठापूर्ण व ईमानदारी से कार्य करने की प्रेरणा मिली। डा0 ध्यानी ने अवगत कराया कि उन्होने व कुछ सत्यनिष्ठता से कार्य करने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों के सहयोग से विश्वविद्यालय में समय समय पर एक लाख से अधिक छात्र-छात्राओं की परीक्षायें प्रतिवर्ष सफलता पूर्वक आयोजित करवायी और समय से परीक्षा परिणाम घोषित करवाये। उनके सहयोग से ही, ऋषिकेश परिसर में मर्जर प्रक्रिया सम्पन्न हुयी और विश्वविद्यालय में मानव संसाधन में इजाफा हुआ। अब विश्वविद्यालय प्रगति के पथ पर बढ़ रहा है।

यह भी पढ़े:     श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय की बी0एड0 प्रवेश परीक्षा सम्पन, छात्र हित में जल्द परीक्षा परिणाम होगा घोषित

डा0 ध्यानी ने यह भी बताया कि विश्वविद्यालय द्वारा पूर्व में निष्कासित कर्मचारियों की दयनीय स्थिति को देखते हुए उन्हे पुनः रोजगार का अवसर दिया, जिससे स्थानीय जनता में विश्वविद्यालय के प्रति आदर और सम्मान बढ़ा। विश्वविद्यालय के अधिकारियों व कर्मचारियों द्वारा मुख्यालय में एक घण्टा अतिरिक्त कार्य करने के निर्णय से भी राज्य में एक बहुत ही अच्छा संदेश गया और विश्वविद्यालय की छवि में सुधार हुआ। विश्वविद्यालय मुख्यालय बादशाहीथौल में अवस्थापना विकास हेतु आंगणन बनाकर सरकार को भेजना, टिहरी जनपद में विश्वविद्यालय का अतिरिक्त कैम्पस बनाये जाने का निर्णय लेना, एसोसियेशन आफ इण्डियन यूनिवर्सिटिज द्वारा विश्वविद्यालय में नार्थ जॉन महिला खो-खो की मेजबानी स्वीकृत कराने हेतु व्यक्तिगत प्रयास करना आदि से भी विश्वविद्यालय की छवि में गुणात्मक सुधार हुआ।

कुलपति डा0 ध्यानी से पूछे जाने पर कि कुछ समाचार पत्रों में पहले आप पर जांच बैठाने की बात भी प्रकाशित हुयी थी। इस सन्दर्भ में कुलपति ने बहुत ही बेबाकी से कहा कि शिकायतोें की सत्यता के आधार पर ही जांचे होती हैं। विश्वविद्यालय के प्रधान कार्यपालक कुलपति पर जांच बैठाने के स्पष्ट कारण विश्वविद्यालय के अधिनियम (एक्ट) में उल्लेखित है। समाचार पत्र में क्या प्रकाशित हुआ, उस पर उनका कोई ध्यान नही है। वह तो अपने दायित्वों का नियमानुसार निर्वहन कर रहे हैं और विश्वविद्यालय के अधिनियम एवं परिनियम की व्यवस्थायें के तहत उनका सरंक्षण कर अपनी जिम्मेदारीया निभा रहे हैं।

डा0 ध्यानी ने कहा कि उन्हें उनके खिलाफ किसी भी प्रकार की जांच की अभिलेखीय जानकारी नही है। हां, समाचार पत्र के माध्यम से उन्होने खबर जरूर पड़ी है कि उन्हे 10 हजार का ग्रेड पे वेतन पर 2016 से कार्य करने का अनुभव है, जिस कारण वह कुलपति पद की अर्हता पूरी नही करते। इस सन्दर्भ में डा0 ध्यानी ने अवगत कराया कि उन्हे 01.01.2007 से 28.09.2017 (अर्थात 10 वर्ष से अधिक का ) ग्रेड पे 10 हजार पर सेवा का अनुभव है और उन्होने इस ग्रेड पे पर 01.01.2007 से वेतन का आहरण किया है । उन्होने यह भी अगवत कराया कि जब प्रोफेसर का रू0 4500 वाला स्केल होता था तब वह इस स्केल पर 20 वर्ष पूर्व ही नियुक्त हो गये थे। अतः समाचार पत्र में प्रकाशित अर्नगल और मनगढ़त शिकायत पूर्ण रूपेण असत्य, भ्रामक और सत्यता से परे है। सुखियों पर रहने के लिये कुछ सोशल मीडिया और समाचार पत्रांे मे ऐसी शिकायते छपती रहती हैं।

यह भी पढ़े:    पिम्पल्स हो या फिर डार्क सर्कल्स इन स्किन प्रॉब्लम्स को दूर करता है पुदीना

डा0 ध्यानी ने बताया कि विश्वविद्यालय (sri dev suman university) में कार्यरत कुछ अमर्यादित अधिकारियों/कर्मचारियों और उनके कुछ सोशल मीडिया साथी तथा कुछ निजी संस्थानों के संस्थापक उनके कठोर निर्णयों से पूर्णरूपेण भयभीत हुए है क्योंकि उन पर विश्वविद्यालय द्वारा कठोर कार्यवाहियां की गयी। यही एक मात्र कारण है कि वे सब एक होकर विश्वविद्यालय के कुलपति के खिलाफ अपनी मुहिम चलाते हुए हैं। जिसका उन पर कोई प्रभाव नही पडता है। डा0 ध्यानी ने कहा कि वह विश्वविद्यालय विकास हेतु अपनी हर खुशी को र्कुबान करने को तैयार हैं चाहे कोई भी विपरित परिस्थिति क्यों न हो।

यह बता दें कि डा0 ध्यानी बेहद निडर, ईमानदार और प्रशासनिक नेतृत्व के धनी हैं। वह प्रख्यात वैज्ञानिक और शिक्षाविद है और पिछले 39 साल का उनका बेहतरीन सेवा का ट्रैक रिकार्ड रहा है। डा0 ध्यानी को पिछले 04 वर्षो में 03 विश्वविद्यालयों में कुलपति के रूप में कार्य करने का वृहद अनुभव है।

Leave A Reply

Your email address will not be published.