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आईआईटी मद्रास ने चिकित्सा विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग का किया शुभारंभ

IIT Madras news

देहरादून: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास (आईआईटी मद्रास) ने चिकित्सा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग का शुभारंभ किया है। यह चिकित्सा विज्ञान और इंजीनियरिंग में चार वर्षीय बी.एस. प्रोग्राम का संचालन करेगा। यह कोर्स भारत में पहली बार शुरू किया जाएगा। विभाग के उद्घान में कॉग्निजेंट के सह-संस्थापक लक्ष्मी नारायणन, और आईआईटी मद्रास के निदेशक प्रोफेसर वी. कामकोटि, इस विभाग की संचालन समिति के मेडिकल क्लीनिशियंस और अन्य भागीदार मौजूद थे। यह कोर्स विभिन्न विषयों के परस्पर सहयोग का दृष्टिकोण रखते हुए जीवन रक्षक चिकित्सा उपकरण, दवा की खोज, चिकित्सा में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मौलिक चिकित्सा अनुसंधान के लिए छात्रों को तैयार करेगा। यह विभाग चिकित्सकों के क्लिनिकल कार्यों में टेक्नोलाॅजी के प्रभावी उपयोग करने का प्रशिक्षण देगा और भारत में चिकित्सक-वैज्ञानिक प्रशिक्षण की नींव रखेगा।

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कॉग्निजेंट के सह-संस्थापक लक्ष्मी नारायणन ने अपने उद्घाटन संबोधन में कहा, “चिकित्सा विज्ञान में परस्पर सहयोग से अनुसंधान शुरू होने से भारत क्लिनिकल चिकित्सा के बेहतर परिणाम देने में दुनिया में अव्वल आ सकता है। अंतरिक्ष विज्ञान, परमाणु विज्ञान, डिजिटल और जैव प्रौद्योगिकी में हम ने अनुसंधान क्षमता और इसकी बढ़ती संभावना का प्रदर्शन किया है। ऐसे में मेडिसिन में इस क्षमता का विस्तार करना सहज ही अगला कदम है।’’ इस अनोखी पहल का लक्ष्य एक अभूतपूर्व चिकित्सा विज्ञान और प्रौद्योगिकी शोध केंद्र बनाना है ताकि ‘चिकित्सक-वैज्ञानिक’ और ‘इंजीनियर-चिकित्सक’ तैयार और प्रशिक्षित कर उन्हें उनके कार्य क्षेत्रों में भावी लीडर बनाया जाए।

नया विभाग विभिन्न चिकित्सा विषयों को जोड़ने वाले मौलिक और व्यावहारिक अनुसंधान दोनों कार्यक्रमों का संचालन करेगा। शुभारंभ समारोह के अपने संबोधन में आईआईटी मद्रास के निदेशक प्रोफेसर वी. कामकोटि ने कहा, “कोविड काल में हम ने साफ तौर पर यह महसूस किया कि देश के अंदर भविष्य में ऐसे संकट से निकलने के लिए चिकित्सा विज्ञान में प्रौद्योगिकी को समावेश आवश्यक है। हालांकि हम तो यही कामना करते हैं कि ऐसी चुनौतियां फिर कभी नहीं आएं। लेकिन हमारी यह पहल ऐसे मामलों से निपटने में अहम भूमिका निभाएगी।’’

चिकित्सा विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के कोर्स:

  • चिकित्सा विज्ञान और इंजीनियरिंग में बी.एस. (4 वर्षीय प्रोग्राम)
  • डॉक्टरों के लिए पीएचडी प्रोग्राम
  • डॉक्टर्स के लिए रिसर्च से एम.एस
  • चिकित्सा विज्ञान और इंजीनियरिंग में एम.एस.
  • विज्ञान और इंजीनियरिंग ग्रैजुएटों के लिए पीएचडी प्रोग्राम

प्रोग्राम के कई विशिष्ट पहलुओं की जानकारी देते हुए प्रो. बॉबी जॉर्ज, प्रमुख, चिकित्सा विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, आईआईटी मद्रास ने कहा, ‘‘इंजीनियरिंग और चिकित्सा ज्ञान के तालमेल से बेहतर स्वास्थ्य सेवा के इस दृष्टिकोण में विभिन्न विषयों को परस्पर जोड़ने का लक्ष्य है। इससे नई तकनीकों का विकास होगा जो कि विभिन्न अंगों के वाइटल पैरामीटर्स पर निगरानी रखेंगी, बीमारी के संकेतों को समझेंगी और लक्ष्य बना कर उनकी रोकथाम और उपचार के विकल्प देंगी। इंजीनियरिंग और मेडिसिन के इस मेल से असीम संभावनाएं सामने आएंगी।’’

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कोर्स कोर्डिनेटर प्रोफेसर आर. कृष्ण कुमार, इंस्टीट्यूट प्रोफेसर, आईआईटी मद्रास ने कहा, ‘‘कोर्स में प्रवेश आईआईएसईआर एप्टीट्यूड टेस्ट (आईएटी) के माध्यम से होगा। उम्मीदवार का भारत के शिक्षा विभाग के काउंसिल ऑफ बोर्ड ऑफ से मान्यता प्राप्त किसी भी बोर्ड से 2022 या 2023 में विज्ञान स्ट्रीम के साथ बारहवीं कक्षा (या समकक्ष) परीक्षा उत्तीर्ण होना अनिवार्य है।“ डॉक्टरों और इंजीनियरों के बीच परस्पर सहयोग की अहमियत समझते हुए एक डुअल पीएचडी प्रोग्राम भी शुरू किया गया है जो विभिन्न उपकरणों के विकास और डेटा एनालिटिक्स को बढ़ावा देगा। क्लिनिशियन जिनके पास इनोवेटिव आइडियाज़ हैं वे डॉक्टरेट के लिए पंजीकरण करा सकते हैं।

उनकी जोड़ी इंजीनियरिंग पीएचडी छात्रों के साथ बनाई जाएगी जो सिमुलेशन और बेंच टेस्ट के माध्यम से इंजीनियरिंग पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करेंगे। डॉक्टर और इंजीनियर मिल कर ऐसे आइडिया से बाजार में बिक्री योग्य प्रोडक्ट बनाने का फ्रेमवर्क देंगे। क्लिनिशियन प्रोडक्ट ट्रायल कर इसे बाजार के लिए तैयार कर पाएंगे। चिकित्सकों के लिए इस विभाग में उद्यमशीलता डॉक्टरेट नामक एक विशिष्ट प्रोग्राम शुरू हो रहा है। इसमें डॉक्टर एक प्रोडक्ट तैयार करेंगे और आईआईटी उनके उद्यमी बनने के इस प्रयास में मार्गदर्शन और सहायता प्रदान करेगा।

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