Home / state / uttarakhand / मानव एकजुटता दिवस विविधता में एकता व वसुधैव कुटुम्बकम् का उत्सव : स्वामी चिदानन्द सरस्वती

मानव एकजुटता दिवस विविधता में एकता व वसुधैव कुटुम्बकम् का उत्सव : स्वामी चिदानन्द सरस्वती

International Human Unity Day

ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती (International Human Unity Day) ने  अंतर्राष्ट्रीय मानव एकता दिवस के अवसर पर कहा कि यह ‘विविधता में एकता’, ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ विश्व एक परिवार है का उत्सव है। एकजुटता उन मूलभूत मूल्यों में से है जो आपसी और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के लिए अत्यंत आवश्यक है। आज का दिन समता, सद्भाव, सहयोग, समानता और सामाजिक न्याय की संस्कृति को बढ़ावा देना का अद्भुत संदेश देता है।

पुलिस अधिकारियों से वार्ता के बाद भाकियू का धरना स्थगित

मानव एकजुटता (International Human Unity Day) से तात्पर्य सभी समुदायों, पंथों, जातियों और रंगों के लोगों के साझा लक्ष्यों और हितों के बारे में जागरूक करने का एक अवसर प्रदान करना है। आपसी सद्भाव से एकता की मनोवैज्ञानिक भावना विकसित होती है। साथ ही इसके माध्यम से सामाजिक संबंधों को मजबूत किया जा सकता है।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि यह समय संस्कृति और प्रकृति के लिये एकजुट होने का है; मानवाधिकारों और प्रकृति के अधिकारों के लिये एकजुट होने का है साथ ही वैश्विक शांति को बढ़ावा देने के लिए एकजुट होने का है। आपसी और वैश्विक साझेदारी की नींव पर ही वैश्विक सहयोग और एकजुटता का निर्माण सम्भव है।

स्वामी जी ने कहा कि आपसी एकजुटता के लिये एकदूसरे की संस्कृति का सम्मान करना जरूरी है क्योंकि विश्वासों, मूल्यों और व्यवहारों के आधार पर ही समाज को आकार दिया जा सकता है। संस्कृति कोई ऐसी चीज़ नहीं है जो पूर्व निर्धारित है या स्थिर है बल्कि वह तो समाज के कार्यों, विचारों, व्यवहारों के माध्यम से लगातार विकसित और आकार लेती है। कोई भी संस्कृति समाज का निर्माण नहीं करती बल्कि  समाज, संस्कृति को बनाता है। वर्तमान समय में पूरे वैश्विक समाज को एकजुटता व शान्ति की संस्कृति की आवश्यकता है इसलिये उसका निर्माण भी समाज का ही कर्तव्य है।

जब भी कोई संस्कृति आकार लेती है तो उसके पीछे उस समय के समाज का योगदान होता है। वर्तमान समय के सांस्कृतिक मानदंडों, मूल्यों और सांस्कृतिक अपेक्षाओं के अनुरूप वर्तमान संस्कृति का निर्माण किया जा सकता है। संस्कृतियों के अंतर्संबंध के कारण ही भौगोलिक और सांस्कृतिक सीमाओं के पार भी उत्कृष्ट संस्कृतियों का विकास हुआ है। वर्तमान समय में प्रकृति के संरक्षण की संस्कृति विकसित करने की जरूरत है।

स्वामी जी ने कहा कि जैसे-जैसे समाज आगे बढ़ता है नई परिस्थितियों और सम्भावनाओं का सामना भी करता है परन्तु प्रकृृति हर युग और हर पीढ़ी के लिये अत्यंत आवश्यक है। पीढ़ी-दर-पीढ़ी प्रकृति संरक्षण के संदेश को विरासत के रूप में निरंतरता के साथ प्रसारित करें तो आने वाली पीढ़ियों का प्रकृति से जुड़ाव भी बना रहेगा, प्रकृति का संरक्षण भी होगा साथ ही पूर्वजों  द्वारा प्रदान किये प्राकृतिक व सांस्कृतिक मूल का प्रसार भी होता रहेगा। प्रकृति व प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के माध्यम से ही वैश्विक स्तर पर एकजुटता व शान्ति की संस्कृति स्थापित की जा सकती है और भावी पीढ़ियों के लिये यही एकजुटता का आधार भी है

Tagged:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

LIC Of India

Social Icons

#arnittimes #dehradun news #dehradun news in hindi arnit times arnit times news arnit times news in hindi Dehradun Breaking News Dehradun Ki Khabre Dehradun Ki News dehradun Latest news Dehradun Live News Dehradun News Live Dehradun News Live Today Dehradun News Today Live Dehradun News Uttarakhand Dehradun Top News HINDI NEWS Latest Dehradun News in Hindi latest news Latest Uttarakhand News In Hindi News in Hindi UK News in Hindi Uttarakhand uttarakhand breaking news Uttarakhand Ki Khabre Uttarakhand Ki News uttarakhand Latest news Uttarakhand Live News uttarakhand news Uttarakhand News Dehradun Uttarakhand News Live Uttarakhand News Live Today Uttarakhand News Today Live Uttarakhand Top News उत्तराखंड की ताज़ा ख़बर उत्तराखंड न्यूज़ उत्तराखंड न्यूज़ हिंदी उत्तराखंड लाइव न्यूज़ उत्तराखंड लेटेस्ट न्यूज़ उत्तराखण्ड समाचार उत्तराखण्ड समाचार - Uttarakhand News देहरादून न्यूज़ देहरादून लेटेस्ट न्यूज़ पहाड़ समाचार हिंदी समाचार