उत्तराखंड में नसबंदी अभियान के 5 साल पूरे होने पर HSI / India ने किया समारोह का आयोजन

देहरादून: प्रमुख पशू संरक्षण चैरिटी ह्यूमेन सोसाइटी इंटरनेशनल इंडिया (HSI / India) उत्तराखंड में अपने मानवीय स्ट्रीट डॉग प्रबंधन कार्यक्रम की पांचवीं वर्षगांठ पर एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन कर अपने वालंटियर और समुदाय के सदस्यों द्वारा दिए गए योगदान का उत्सव मना रही है। HSI/India और उत्तराखंड एनिमल वेलफेयर 2018 से एक साथ आवारा कुत्तों की नसबंदी और रेबीज के टीके लगाने का काम कर रही है, इन्होंने पिछले पांच वर्षों के भीतर अनुमानित 46,000 आवारा कुत्तों की नसबंदी और रेबीज का टीकाकरण करवाया है। कुशल, एवं उच्च गुणवत्ता वाले मानवीय रूप से कुत्ते का प्रबंधन करने वाली कार्यप्रणाली, स्ट्रीट डॉगस की दुर्दशा को कम करने, कुत्ते के काटने को कम करने और मनुष्यों और कुत्तों के बीच संघर्ष को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।

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HSI/India का विशेष रूप से विकसित स्मार्टफोन ऐप, इसका विज्ञान संचालित दृष्टिकोण, और निरंतर नवाचार के लिए इसकी प्रतिबद्धता कार्यक्रम की सफलता में महत्वपूर्ण कारक रहे हैं। आयोजन के दौरान, HSI/India ने वालंटियरस और समुदाय के सदस्यों को स्ट्रीट डॉग कल्याण में उनके अटूट समर्पण और महत्वपूर्ण योगदान के लिए पुरस्कार प्रदान किए। HSI/ India की विभिन्न गतिविधियों जैसे जन जागरूकता कार्यक्रम, कुत्ते के व्यवहार का प्रशिक्षण और पशु प्राथमिक चिकित्सा कार्यशालाओं के माध्यम से, समुदाय और वालंटियरस की सक्रिय भागीदारी ने उत्तराखंड में स्ट्रीट डॉग्स और लोगों के बीच सामंजस्यपूर्ण सह-अस्तित्व को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और कुत्तों की सर्जरी की संख्या बढ़ाने में भी मदद की है।

मेयर सुनील उनियाल ने मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम की अध्यक्षता की, जबकि देहरादून नगर निगम, उत्तराखंड पशु कल्याण बोर्ड के अधिकारी, वालंटियर, समुदाय के सदस्य और स्थानीय निवासी भी शामिल हुए। HSI/ इंडिया के वरिष्ठ कार्यक्रम प्रबंधक डॉ. पीयूष पटेल कहते हैं, “HSI/India में कुत्तों का स्वास्थ्य और कल्याण हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। हमारे उन्नत और सावधानीपूर्वक निगरानी वाले मेडिकल और सर्जिकल प्रोटोकॉल के साथ, हमने उत्तराखंड में 46,000 से अधिक कुत्तों की सफलतापूर्वक नसबंदी की है। इसने सड़कों पर पैदा होने वाले कुत्तों के बच्चों की संख्या को कम करने में मदद की है, जिनमें से कई अन्यथा जल्दी मर जाते हैं या पर्याप्त पशु चिकित्सा देखभाल की कमी के कारण बहुत पीड़ित होते हैं।”

वो आगे कहते हैं, “एक स्वस्थ और अधिक स्थिर कुत्ते की आबादी का मतलब स्वस्थ और अधिक शांतिपूर्ण समुदाय भी है। इसलिए कुत्तों की आबादी को देखते हुए हम उन समुदायों की भी तलाश कर रहे हैं जिनके साथ ये कुत्ते रहते हैं। इन शहरों में बड़ी सफलता हासिल करने के बाद, हम उत्तराखंड राज्य के नए शहरों में विस्तार करने की उम्मीद कर रहे हैं।”

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नम्रता उपाध्याय, जो 2018 से एचएसआई/ इंडिया वॉलंटियर हैं, कहती हैं, ” स्ट्रीट डॉग्स का कल्याण न केवल इस बात पर निर्भर करता है कि वे क्या खाते हैं, बल्कि इस बात पर भी निर्भर करता है कि क्या उनकी नसबंदी और टीकाकरण किया गया है, जब से एचएसआई/ इंडिया ने देहरादून में काम करना शुरू किया है, हमने देखा है आवारा कुत्तों के प्रति लोगों के दृष्टिकोण में अंतर आया है और कुत्तों और नागरिकों के बीच संघर्ष की घटनाएं भी कम हो गयी है। मेरे जैसे वालंटियर के लिए, डॉग व्यवहार कार्यशालाओं और उनकी सामुदायिक सहभागिता गतिविधियों और प्रशिक्षणों ने हमें स्ट्रीट डॉग कल्याण के लिए बेहतर काम करने में मदद किया है।”

उत्तराखंड में चल रही परियोजना HSI / India के व्यापक डॉग मैर्निज्मन्ट कार्यक्रम का हिस्सा है जो भारत में आवारा कुत्तों की आबादी की चुनौती का एक एकीकृत और मानवीय समाधान प्रदान करता है। HSI / India को आशा है की उत्तराखंड में सीखे गए अभ्यास से अन्य भारतीय राज्यों में स्ट्रीट डॉग की आबादी को बेहतर ढंग से प्रबंधित करने में सहायता मिलेगी। ह्यूमेन सोसाइटी इंटरनेशनल जानवरों के कल्याण की भावना को आगे बढ़ाते हुए दुनिया भर में 50 से अधिक देशों में मानव और पशु के बीच आत्मीय बंधन को मजबूती देने, कुत्ते- बिल्लियों को बचाने और उनकी रक्षा करने, कृषि पशु कल्याण में सुधार करने, वन्यजीवों की रक्षा करने, पशु मुक्त परीक्षण और अनुसंधानों को बढ़ावा देने, आपदाओं के समय राहत कार्य करने और जानवरों के प्रति सभी रूपों में व्याप्त क्रूरता के खिलाफ आवाज उठाने के लिए काम करती है।

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