पुलिस अधिकारी को लेकर जमकर बवाल, जिम्मेदारी से ड्यूटी करना पड़ रहा है भारी
पुलिस अधिकारी को लेकर जमकर बवाल, जिम्मेदारी से ड्यूटी करना पड़ रहा है भारी
देहरादून : डीजीपी उत्तराखंड और पुलिस मुख्यालय (DGP Uttarakhand and Police Headquarters) द्वारा जारी आदेशों के अनुसार मिशन हौसला (Mission Hausla) पूरे उत्तराखंड में ही नहीं पूरे देश में अपनी एक अलग पहचान बनाए हुए हैं। क्योंकि इससे पहले पुलिस की छवि सबकी नजर में केवल कानून व्यवस्था बनाने, आपराधिक घटनाओं पर अंकुश लगाने, वाहनों का चालान काटने, कुछ गलत होने पर जुर्माना लगाने और सबसे बड़ी बात सफेदपोश नेताओं की सुरक्षा के लिए देखा जाता था लेकिन मिशन हौसला के बाद सभी ने उत्तराखंड पुलिस का एक नया रूप देखा हैं। आज पुलिस को लोग अपना साथी, अपना मददगार समझने लगे है। लेकिन कभी-कभी कुछ लोगों की वजह से खाकी में छुपे हुए इस इंसान के ऊपर भी उंगलियां उठती हैं चाहे वह दोषी हो या ना हो। इसका सबसे बड़ा कारण हम लोगों का भोलापन है, जो हम दिखने वाली हर चीज को सही समझ लेते हैं लेकिन जल्दीबाजी में हम यह भूल जाते हैं कि गहराई में जाकर ही किसी चीज की वास्तविकता का अंदाजा लगाया जा सकता है।
बीते 27 अगस्त से सोशल मीडिया में एक फोटो लगातार वायरल हो रही है जिसमें एक पुलिस अधिकारी द्वारा एक व्यक्ति के कॉलर को पकड़ता हुआ दिखाया जा रहा है। फोटो को आधार मानकर लोग खाकी पर लगातार सवाल उठा रहे हैं और जमकर अपनी प्रतिक्रियाएं देने के साथ-साथ उस पुलिस अधिकारी पर कार्यवाही करने की मांग भी कर रहे हैं, लेकिन अगर सच्चाई जाने बगैर और केवल फोटो को आधार मानकर ही किसी को दोषी करार दे दिया जाए तो यह सरासर गलत है। हमारी इस कहानी का कोई भी पात्र काल्पनिक नहीं है और इसका पूरा का पूरा वास्तविकता से संबंध है। इस घटना में जो पुलिस अधिकारी है वह नगर कोतवाली निरीक्षक रितेश शाह है। जो हर साल अपनी कार्यशैली के लिए मुख्यमंत्री और डीजीपी द्वारा सम्मानित होता है। जबकि दूसरे व्यक्ति की पहचान परिस्थितियों के अनुसार केवल यूथ कांग्रेस के नेता अभिनव थापर के रूप में है।
यूथ कांग्रेस के नेता द्वारा कथित रूप से थप्पड़ मारा और धक्का-मुक्की में वर्दी और वर्दी पर लगे फीते उखाड़ दिए
घटना के अनुसार 27 अगस्त को यूथ कांग्रेस के कार्यकर्ता विधानसभा घेराव करने जा रहे थे और हमेशा की तरह उनको रोकने के लिए प्रशासन ने पुलिस को जिम्मेदारी दे रखी थी। आपको बताते चलें कि यूथ कांग्रेस के नेता अभिनव थापर भी विधानसभा घेराव की जिद को लेकर लगातार पुलिस अधिकारियों के साथ संघर्ष कर रहे थे। लेकिन जोश-जोश में यूथ कांग्रेस के नेता अभिनव थापर ने कार्यकर्ताओं के साथ भीड़ को धक्का देते हुए ड्यूटी पर तैनात इंस्पेक्टर होशियार सिंह को कथित रूप से थप्पड़ मारा और धक्का-मुक्की में उनकी वर्दी और वर्दी पर लगे फीते उखाड़ दिए। इसको देख कर मौके पर मौजूद कोतवाल रितेश शाह ने तुरंत मोर्चा संभाला और उनकी छाती पर हाथ रखते हुए उन्हें पीछे किया लेकिन धक्का-मुक्की में कोतवाल रितेश शाह का हाथ अभिनव थापर के कॉलर तक पहुंच गया। अब यह एक तरह की घटना है जिसमें एक्शन पर रिएक्शन स्वाभाविक है, लेकिन कुछ लोग इस बात को मुद्दा बनाकर पुलिस अधिकारी पर कार्यवाही करने की बात कर रहे हैं। जो बिना किसी निष्पक्ष जांच के सरासर गलत है।
आप इस पूरे प्रकरण को और इस तरह से समझ सकते हैं कि,
1. अपनी ड्यूटी निभा रहे पुलिस अधिकारी पर हाथ उठाना और उसकी वर्दी फाड़ देना सरासर गलत है और ड्यूटी पर तैनात अपने साथी की मदद के लिए आगे आना बिल्कुल सही, शायद यूथ कांग्रेस भी इस बात का समर्थन करेगी।
2. जब भीड़ को रोकने वाले के ऊपर लगातार धक्का-मुक्की करते हुए आगे बढ़ने वाला हावी हो तो छाती से हाथ फिसल कर कॉलर तक जाना मात्र एक संयोग कहा जा सकता है। इस बात को लेकर किसी एक को बिना जांच के दोषी बताना गलत है।
3. पुलिस अधिकारी पर कार्यवाही की बात की जा रही है अगर उस पुलिस अधिकारी का पिछला रिकॉर्ड देखा जाए तो मुख्यमंत्री से लेकर डीजीपी तक हर साल इस अधिकारी को बेहतर कार्यशैली के लिए सम्मानित करते आए हैं तो केवल एक फोटो को लेकर क्यों उसको राजनीतिक मोहरा बनाया जा रहा है। देश की राष्ट्रीय पार्टी और प्रदेश का मुख्य विपक्ष (कांग्रेस) शायद इस बात को लेकर सहमत होगा।
4. कानून की रखवाली करने वालों के साथ ही अगर गलत हो रहा हो तो उसकी सुनवाई उसका पक्ष कहां रखा जाएगा, आखिर उनके साथ भी तो न्याय जरूरी है।
5. केवल कोतवाल रितेश शाह का रिएक्शन देखा जा रहा है लेकिन घटना से पहले यूथ कांग्रेस नेता अभिनव थापर का (रुद्रपुर से विधानसभा ड्यूटी के लिए देहरादून आए पुलिस अधिकारी पर) एक्शन क्यों नही देखा जाए। अपने साथी की सुरक्षा और सेल्फ डिफेंस के लिए आगे आना कहां पर गलत है?
6. अगर सेवा, साहस और कार्यशैली की बात करें तो ऋषिकेश के लोग कोतवारी प्रभारी निरीक्षक रहे रितेश शाह के आज भी मुरीद है जो किसी अधिकारी की सबसे बड़ी पहचान होती है।
इस मामले को जबरदस्ती सोशल मीडिया और अन्य जगह तूल दिया जा रहा है जबकि यह दो लोगों के बीच केवल अपनी जिम्मेदारियां निभाते हुए घटित हुई एक घटना है। क्योंकि पुलिस अधिकारी को केवल अपनी जिम्मेदारियों के अनुसार यूथ कांग्रेस के विधानसभा घेराव को आगे बढ़ने से रोकना था और यूथ कांग्रेस के नेता अभिनव थापर को विधानसभा घेराव करने के लिए आगे बढ़ना।
(हर पहलू को समझने के लिए कुछ आधार आपके सामने है… यूथ कांग्रेस हर संगठनों की तरह युवाओं का एक ऐसा समूह है जो आने वाला भविष्य है इसलिए राजनीति संभव है किंतु निराधार नहीं)
रिपोर्ट: ब्यूरो रिपोर्ट (अर्नित टाइम्स न्यूज़) देहरादून, उत्तराखंड