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उत्तराखंड में 2 फरवरी को ही बसंत पंचमी का त्यौहार मनाया जाना शास्त्र सम्मत: आचार्य दैवज्ञ

उत्तराखंड में 2 फरवरी को ही बसंत पंचमी का त्यौहार मनाया जाना शास्त्र सम्मत: आचार्य दैवज्ञ
  • बसंत पंचमी 2025 पर उत्तराखंड ज्योतिष रत्न आचार्य दैवज्ञ का महत्वपूर्ण बयान जारी

आचार्य चंडी प्रसाद घिल्डियालदेहरादून। बसंत पंचमी के त्यौहार को लेकर लोगों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। कुछ लोग 2 फरवरी को तो कुछ 3 फरवरी को यह पर्व मनाने की बात कह रहे हैं। इस संशय के बीच उत्तराखंड ज्योतिष रत्न आचार्य डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल “दैवज्ञ” ने महत्वपूर्ण बयान जारी किया है।

बयान में ज्योतिष रत्न आचार्य डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल ने कहा है कि 2 फरवरी रविवार के दिन सुबह 9:16 बजे तक चतुर्थी तिथि रहेगी उसके बाद पंचमी तिथि प्रारंभ हो रही है ,जो दूसरे दिन अर्थात 3 फरवरी को सूर्य उदय से पहले ही समाप्त हो रही है। इसलिए 2 फरवरी को ही बसंत पंचमी का त्यौहार मनाया जाना शास्त्र सम्मत है।

बसन्त पंचमी का सबसे प्रमुख आध्यात्मिक पहलू विद्या, वाणी और संगीत की देवी सरस्वती की आराधना है। वेदों में सरस्वती को बुद्धि, विवेक, वाणी और ज्ञान की अधिष्ठात्री देवी माना गया है।

ऋग्वेद (1.3.10) में कहा गया है—
“प्रणो देवी सरस्वती वाजेभिर्वाजिनीवती।
धीना‌म्‌ वितृयवतु।।”

वैज्ञानिक दृष्टिकोण

मंत्रों की ध्वनि को यंत्रों में परिवर्तित करने की वजह से ज्योतिष वैज्ञानिक सम्मान से सम्मानित आचार्य देवग्य वैज्ञानिक विश्लेषण करते हुए बताते हैं कि बसंत पंचमी के समय वातावरण में महत्वपूर्ण बदलाव होते हैं इस समय सर्दियों की कठोरता समाप्त होती है, और तापमान संतुलित होने लगता है। इस मौसम में विटामिन-डी का स्तर बढ़ता है, जिससे हड्डियों और मांसपेशियों को लाभ होता है। इसके अतिरिक्त इस समय प्राकृतिक हार्मोनल संतुलन सुधरता है, जिससे तनाव और अवसाद (Depression) में कमी आती है।

ज्योतिष में ध्वनि विज्ञान के विशेषज्ञ डॉक्टर घिल्डियाल बहुत बारीकी से बताते हैं कि ध्वनि विज्ञान और ब्रेन वेव्स के अनुसार मंत्रों के उच्चारण से उत्पन्न ध्वनि तरंगें मस्तिष्क पर सकारात्मक प्रभाव डालती हैं।

न्यूरोसाइंस शोध के अनुसार, संस्कृत मंत्रों के उच्चारण से गामा वेव्स (Gamma Waves) उत्पन्न होती हैं, जो याददाश्त और मानसिक स्पष्टता को बढ़ाती हैं।

बसंत पंचमी: ज्योतिषीय दृष्टिकोण

अपनी सटीक भविष्यवाणियों तथा लोगों के समस्याओं को हर तरह से हल करने के लिए अंतरराष्ट्रीय जगत में विख्यात आचार्य दैवज्ञ बताते हैं, कि बसंत पंचमी केवल आध्यात्मिक और वैज्ञानिक रूप से ही नहीं, बल्कि ज्योतिषीय दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। यह पर्व माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है और इस दिन ग्रहों की स्थिति विशेष रूप से सकारात्मक मानी जाती है।

इस दिन सूर्य, चंद्रमा, बुध और बृहस्पति ग्रह विशेष रूप से शुभ स्थिति में होते हैं।बसंत पंचमी के समय सूर्य मकर राशि में होते हैं, जो कर्म, आत्मविश्वास और ऊर्जा का प्रतीक है। इस दिन किया गया अध्ययन और विद्या-प्राप्ति का प्रयास विशेष रूप से फलदायी होता है।

बताते हैं कि मानसिक शांति और ज्ञान के प्रतीकचन्द्रमा इस दिन सामान्यतः वृषभ, मिथुन या कर्क राशि में होते हैं, जो मन की स्थिरता और एकाग्रता प्रदान करते हैं। इस कारण, यह दिन विद्यार्थियों, शोधकर्ताओं और रचनात्मक कार्यों से जुड़े लोगों के लिए विशेष लाभकारी होता है। जबकि वाणी और बुद्धि का कारक बुध ग्रह बुद्धि, सम्वाद, गणित और तर्क शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है। बसन्त पंचमी के दिन बुध की शुभ स्थिति वाणी में मधुरता, तर्क क्षमता और लेखन कला को तेज करने में सहायक होती है।

ज्योतिष शास्त्र के मर्मज्ञ डॉक्टर घिल्डियाल आगे विश्लेषण करते हुए बताते हैं कि बृहस्पति ग्रह (गुरु) विद्या, धर्म, और आध्यात्मिक उन्नति का कारक है। इस दिन गुरु की शुभ दृष्टि व्यक्ति को आध्यात्मिक उन्नति और उच्च शिक्षा में प्रगति प्रदान करती है।

बसंत पंचमी को अभिजीत मुहूर्त माना जाता है, जिसका अर्थ है कि इस दिन संपूर्ण दिन शुभ कार्य किए जा सकते हैं।

बसंत पंचमी और राशियों पर प्रभाव

संस्कृत शिक्षा के सहायक निदेशक की भी जिम्मेदारी देख रहे डॉक्टर घिल्डियाल बताते हैं सभी राशियों पर बसंत पंचमी का असर होता है जो निम्न प्रकार से रहेगा।

मेष (Aries) – नया कार्य प्रारंभ करने के लिए उत्तम समय।

वृषभ (Taurus) – धन वृद्धि और मानसिक शांति।

कन्या (Virgo) – विद्या और करियर में उन्नति।

धनु (Sagittarius) – आध्यात्मिक उन्नति और गुरु कृपा।

मीन (Pisces) – अध्ययन और लेखन में सफलता।

इन्हें रखनी होगी सावधानी

सिंह (Leo) – आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए सरस्वती पूजन करें।

वृश्चिक (Scorpio) – क्रोध पर नियंत्रण रखें और मंत्र जाप करें।

इस दिन किए जाने वाले विशेष ज्योतिषीय उपाय

विद्यार्थियों के लिए – “ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः” मंत्र का जप करें।

व्यवसायियों के लिए – पीले वस्त्र पहनें और सरस्वती पूजन करें।

मानसिक शांति के लिए – पीले फूलों से देवी सरस्वती का पूजन करें।

करियर में सफलता के लिए – इस दिन कोई नई विद्या या कौशल सीखना शुभ रहेगा।

निष्कर्ष

बसंत पंचमी के दिन सूर्य, चंद्र, बुध और गुरु ग्रहों की विशेष अनुकूलता रहती है, जिससे यह दिन अत्यंत शुभ माना जाता है। यह “सर्वसिद्धि योग” का समय होता है, जिससे इस दिन कोई भी शुभ कार्य किया जा सकता है। राशियों के अनुसार, यह दिन विशेष रूप से मेष, वृषभ, कन्या, धनु और मीन राशि के जातकों के लिए अत्यन्त लाभकारी होता है।

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