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अमेजॉनियन मधु बाला शर्मा ने अपनी दिव्यांगता को बनाया अपनी ताकत

अमेजॉनियन मधु बाला शर्मा ने अपनी दिव्यांगता को बनाया अपनी ताकत

देहरादून। शारीरिक अक्षमताओं को अपनी कमज़ोरी न समझते हुए, (Amazonian Madhu Bala) दृढ़ संकल्प वाले लोग अपने जीवन के लक्ष्य को पाने और अपने लिए बेहतर जीवन बनाने की कोशिश जारी रखते हुए एक न एक दिन कामयाबी के शिखर पर पहुंच ही जाते है। अपनी हिम्मत और जज्बे से, वे दूसरों को अपेक्षाओं को छोड़, सफलता के लिए अपना रास्ता खुद बनाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। गुड़गांव की रहने वाली, मधु बाला शर्मा ऐसा ही एक उदाहरण है जो चुनौतियों पर विजय पाने की जीती जागती मिसाल हैं। जो समावेशन की राह पर चलने वालों के लिए एक मार्गदर्शक की तरह है।

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मधु के जीवन की सबसे बड़ी चुनौती जो उसे दिखायी न देना थी, (Amazonian Madhu Bala) उसी ने मधु को आज एक उल्लेखनीय व्यक्ति के रूप में आकार दिया, जो वह आज है। जन्म से अंधी मधु के माता-पिता ने उसका पालन-पोषण ऐसी दुनिया में किया जहां दिव्यांग लोगों के लिए तत्काल संसाधनों की कमी होती थी। अपने शुरुआती समय के दौरान स्क्रीन रीडर्स की कमी को स्वीकार करते हुए, मधु ने शिक्षा के लिए रिकॉर्ड की गई पुस्तकों और ब्रेल का सहारा लिया।

मधु की इच्छा मनोविज्ञान पढ़ने की थी, जबकि उसे यह बताया गया था की विकलांग लोग कई चुनौतियों के कारण व्यावहारिक विषयों को नहीं पढ़ सकते हैं, इसलिए, उसने स्नातक होने के दौरान अंग्रेजी साहित्य को चुना। मगर ये सफर उतना आसान कहा था। अपने सफर और बड़े होने के अनुभवों के बारे में बताते हुए मधु ने कहा कि मुझे कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा लेकिन मैंने सीखने और सफल होने के लिए दृढ़ संकल्प किया था। मैंने अपनी पूरी हिम्मत के साथ मुश्किलों पर जीत हासिल की, और ज्ञान पाने की प्यास और सीखने के जुनून के चलते मैंने नेतृत्व और विकास में अपना करियर बनाया, मैने यह साबित कर दिया कि असफलताएं किसी को नीचे खींचने की बजाए ऊपर की ओर भी धकेल सकती है।

उन्होंने आगे कहा कि मेरे नाम की जगह मुझे पुकारने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले संक्षिप्त शब्द-माइंडफुल, अटेंटिव, डेडिकेटेड, हैप्पी-गो-लकी और यूनिक यह सभी न केवल मेरे व्यक्तिगत को झलकाते है, बल्कि उन गुणों को भी दर्शाते है, जिन्होंने जाबाजी और दृढ़ निश्चय भरे मेरे सफर को बढ़ावा दिया है।

मधु अप्रैल 2022 में अमेज़न से जुड़ी और वर्तमान में डायवर्सिटी, इक्विटी और इंक्लूजन कम्युनिटी के प्रमुख के रूप में काम कर रही हैं। वह न केवल आंतरिक रूप से दिव्यांग व्यक्तियों के साथ जुड़ती है, बल्कि कम्युनिटी एक्रॉस अमेज़न ग्लोबल के साथ भी मिलकर काम करती है। उनकी भूमिका का यह अनोखा पहलू उन्हें कनेक्शन को मज़बूत करने, अनुभव साझा करने और अमेज़न के भीतर और बाहर समावेशिता को दमदार करने वाली पहलों को बढ़ावा देने की अनुमति देता है। वह आज पहुंच और समावेशन प्रदान करने के लिए संगठन की प्रतिबद्धता से ख़ुद को सशक्त महसूस करती है।

अमेज़न में अपने सफर के बारे में बताते हुए, मधु ने कहा कि अमेज़न की टीम का सहयोगात्मक दृष्टिकोण एक सक्षम और सहायक वातावरण को बढ़ावा देने के लिए अमेज़न की प्रतिबद्धता को दिखाता है। पहुंच के प्रति अमेज़न की प्रतिबद्धता संगठन के सॉफ्टवेयर केंद्र में स्क्रीन रीडर समर्थन के एकीकरण में स्पष्ट दिखाई देती है। साथ ही समान अवसर देने के प्रति कंपनी के समर्पण को भी देखा जा सकता है। जिस टीम के साथ मैं काम करती हूं वह बेहतरीन तरीके से बाधाओं को खत्म करने की कोशिश करती है और यह भी सुनिश्चित करती है कि टीम के सभी सदस्य, दिव्यांगता की परवाह किए बिना, अपना काम बखूबी कर सकें।

मेरे इस सफर में कई कामयाबी के तमगे भी लगे है, जिसमें 2023 में आस्क इनसाइट्स और बीडब्ल्यू पीपल द्वारा एक कॉर्पोरेट आइकन के रूप में मुझे मान्यता मिली और 2009 में भारत के राष्ट्रपति से रोल मॉडल पुरस्कार भी मिला। इन पुरस्कारों से विविधता और समावेशिता के प्रति सामूहिक प्रतिबद्धता का पता चलता है। जिससे मुझे दिव्यांग लोगों के लिए कई अवसरों के दरवाजे खोलने और उन्हें प्रोत्साहित करने में मदद मिलती है।

नए प्रोजेक्ट्स के लिए विचारों पर चर्चा करने से लेकर किसी समस्या को हल करने का सबसे अच्छा तरीका ढूंढ़ने तक अमेज़न में नेतृत्व सिद्धांत कुछ ऐसे हैं जिनका हर कोई पालन करता है। इसी कारण अमेज़न सबसे हट कर सबसे बेहतर है। मधु का मुख्य नेतृत्व सिद्धांत हैं, ग्राहक जुनून और श्सीखें और सीखने के लिए जिज्ञासु बनें रहे। आगे उन्होंने कहा कि ग्राहक जुनून मुझे याद दिलाता है

कि विकलांग कर्मचारियों के साथ-साथ हर कोई एक ग्राहक है, क्योंकि यह न केवल बाहरी रूप से बल्कि आंतरिक रूप से भी बेहतर सेवा देने पर जोर देता है क्योंकि हम उत्पादों पर काम करते हैं। सीखें और सिखने के लिए जिज्ञासु बनें रहें मेरे लिए भी अहम है क्योंकि यह निरंतर मुझे कुछ नया सीखने के लिए प्रोत्साहित करता है। यह सिद्धांत सही मायने में सार्थक है क्योंकि यह मुझे पहुंच संबंधी मुश्किलों पर काबू पाने के नए तरीके तलाशने में मदद करता है। यह मेरी जिज्ञासा को बढ़ाता है, मुझे अधिक समावेशी और सुलभ वातावरण के लिए नए रास्ते ढूंढ़ने के लिए प्रेरित करता है।

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