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भारतीयों का हौंसला सबसे बड़ी ताकत बनकर उभर रहा है क्योकि अब होता है, चलता है, के दिन लद गए है

भारतीयों का हौंसला सबसे बड़ी ताकत बनकर उभर रहा है क्योकि अब होता है, चलता है, के दिन लद गए है

भारतीयों का हौंसला सबसे बड़ी ताकत बनकर उभर रहा है क्योकि अब होता है, चलता है, के दिन लद गए है

महाराष्ट्र- वैश्विक स्तर पर तेजी से बढ़ते प्रौद्योगिकी के विकास के साए में मानव प्रजाति में भागमभाग लगी हुई है। हर देश अपने अपने स्तर पर नए अविष्कारों को प्रोत्साहन दे रहा है और विश्व पर राज करने की होड़ में शामिल होना चाहता है। नवोन्मेष, नवाचार, स्टार्टअप्स, नई नई प्रौद्योगिकियों को उत्साहित मन से और बुलंद हौसलों (The spirit of Indians) के साथ हर देश हर व्यक्ति निरंतरता बनाए हुए हैं हम आज इस बढ़ते प्रौद्योगिकी युग में, ऊपर विचारों में शामिल बुलंद हौसलों, शब्द को रेखांकित करेंगे औरइस आर्टिकल के माध्यम से हौसला शब्द को विशाल उपलब्धि की सकारात्मकता पर चर्चा करेंगे।

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साथियों बात अगर हम बुलंद हौसलों की उपलब्धियों की करें तो, बिल गेट्स सहित दुनिया के 20 धनी लोगों में से सात ऐसे लोग हैं जिन्होंने अपने स्कूल या कॉलेज तक की शिक्षा भी पूर्ण नहीं की है परंतु बुलंद हौसलों के बल पर आज इतने ऊंचे मुकाम पर पहुंचे हैं। यह है बुलंद हौसलों की ताकत। सामान्यतः सामान्य आदमी भाग्य में विश्वास रखते हैं कि भाग्य में नहीं है या नहीं था जबकि बुलंद हौंसला धारक व्यक्ति अपनां भाग्य खुद बनाने की कोशिश करने में विश्वास रखते हैं क्योंकि वह जानते हैं कि जब तक बुलंद हौसलों के साथ आगे बढ़कर अपना भाग्य विधाता स्वयं नहीं होंगे तबतक आत्मसंतुष्टि नहीं मिलेगी।

(The spirit of Indians)…

साथियों बात अगर हम बुलंद हौसलों के कुछ विचारों की करें तो कहने वालों ने खूब ही कहा है। इससे फर्क नहीं पड़ता कि आप क्या सोचते हैं, आप क्या बोलते हैं, आप क्या सुनते हैं, फर्क इससे पड़ता है कि आप क्या मानते हैं क्योंकि जो आप मानते हैं आज नहीं तो कल आप वो बन जाते हैं। ये सोच कर निकल आगे बढ़ गिर के संभल,सफलता तेरे कदम चूमेगी सृष्टि भी संग तेरे झूमेगी। जिंदगी में कुछ फैसले हम खुद लेते हैं, और कुछ हमारी तकदीर। बस अंतर तो सिर्फ इतना है कि, तकदीर के फैसले हमें पसंद नहीं आते और हमारे फैसले तकदीर पसंद नहीं करती।

मंजिलें बहुत है और अफ़साने भी बहुत है, जिंदगी की राह में इम्तिहान भी बहुत है, मत करो दुःख उसका जो कभी मिला नही दुनिया में खुश रहने के बहाने भी बहुत है। सपने देखो और उन्हें पूरा करो, आँखों में उम्मीद के ख़्वाब भरो उपनी मंजिल खुद तय करो, इस बेदर्द दुनिया से मत डरो। सपने देखो और उसे पूरा कर दिखाओ, अपनी तमन्नाओं के पर फैलाओ चाहे लाख मुसीबतें रास्ता रोके तुम्हारा, उम्मीदों के सहारे आगे बढ़ते जाओ। जब दुनिया तुम पर उँगलियाँ उठाए जब लोग तुम्हारे रास्ते में मुश्किलें बिछाएँ तो न हार हौसला इन मुश्किलों के आगे खुद को साबित कर विजेता, तू पलटकर वार कर।

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बात अगर हम हौसलों (The spirit of Indians) की करे तो, हौसलों की उड़ान कभी नाकामियाब नहीं होती, यह एक बहुत ही अच्छा प्रेरनादायी वाक्य है, इसका अर्थ होता है कि जो लोग अपने हौसलों को कभी कम नहीं होने देते और हमेशा कोशिश करते रहते है, वे कभी भी नाकामियाब नहीं होते उन्हें सफलता जरुर हासिल होती है, हमें भी कभी हार नहीं माननी चाहिए हमेशा कोशिश करते रहना चाहिए, क्यूकि हौसलों की उड़ान कभी नाकामियाब नहीं होती, कोशिश करते रहने से एक ना एक दिन हमें कमियाबी जरुर हासिल होती है।

 एक जीवन मन्त्र…

अगर हम निरंतर बुलंद हौसलों (The spirit of Indians) के साथ बढ़ते रहने की करें तो, हमारे उपनिषदों का एक जीवन मन्त्र है – चरैवेति-चरैवेति-चरैवेति’ – आपने भी इस मन्त्र को जरुर सुना होगा। इसका अर्थ है – चलते रहो, चलते रहो। ये मंत्र हमारे देश में इतना लोकप्रिय इसलिए है क्योंकि सतत चलते रहना, गतिशील बने रहना, ये, हमारे स्वभाव का हिस्सा है। एक राष्ट्र के रूप में, हम, हजारों सालों की विकास यात्रा करते हुआ यहाँ तक पहुँचे हैं। एक समाज के रूप में, हम हमेशा, नए विचारों, नए बदलावों को स्वीकार करके आगे बढ़ते आए हैं। इसके पीछे हमारे सांस्कृतिक गतिशीलता और यात्राओं का बहुत बड़ा योगदान है।

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अगर हम बुलंद हौसलों(The spirit of Indians) की बात दिव्यांगों के परिपेक्ष में करें तो, दिव्यांगता जीवन को लाचार नहीं बना सकती। हमारे सामने में कई ऐसे मामले हैं जिन्हे देखकर यह कहना, मुश्किल है कि ऐसा काम कोई दिव्यांग भी कर सकता है। इन्होंने अपनी एक अलग पहचान बनाई है। हालांकि आज भी इन्हें शासकीय सुविधाओं के लिए प्रशासन का मुंह ताकना पड़ता है। कई ऐसे दिव्यांग बच्चे हैं जिन्हें समेकित वातावरण में सामाजिक विविधता के साथ पढ़ने-लिखने और खेलने का मौका नहीं मिल रहा। वे पूर्ण विकास से दूर हैं। ये बच्चे बड़े होकर सामाजिक विविधता के बीच अपने बुलंद हौसले के साथ खुद का भविष्य बनाने में लगे हैं। सरकारी मदद तो नाम की मिलती है कुछ निजी निजी स्तर पर जरूर इन दिव्यांगों के जीवन को संवारने में सेवा भावना से निःशुल्क जुटे हुए हैं।

साथियों बात अगर हम बुलंद हौसलों के साथ सफलता पाने के मंत्रों की करें तो,

(1) हम सकारात्मक सोच रखें

(2) हमेशा सीखने की आदत बनाए रखें

(3) खुद को हमेशा प्रोत्साहित करते रहें

(4) अच्छे साथियों का साथ बना कर रखें

(5) बड़े बुजुर्गों की सलाह मार्गदर्शन आदेशों का पालन करें, अनुभवी लोगों के मार्गदर्शन को ध्यान में रखें

(6) नकारात्मक के विचार मन में कभी नहीं लाएं

(7) अपने लक्ष्य को टारगेट पर रखें

(8) अपने लक्ष्य की पूरी सतर्कता के साथ पूरी रूपरेखा बनाएं

(9) अपने लक्ष्यों को पूरा करने बुलंद हौसलों की ताकत झोंक दें

(10) असफलताओं से घबराएं नहीं और हौसला सूरज से सीखे रोज ढलके भी हर दिन नई उम्मीद से निकलता है।

बुलंद हौसलों की परिणीति…

साथियों बात अगर हम बुलंद हौसलों (The spirit of Indians) की परिणीति की करें तो मेरा मानना है कि जी-7 जर्मनी दौरे पर पीएम ने अप्रवासी भारतीयों के सामने भारत की गाथा में बुलंद हौसलों की परिणीति नजर आई उन्होंने कहा, आज भारत में हर महीने औसतन 5 हजार पेटेंट फाइल होते हैं आज भारत हर महीनें औसतन 500 से ज्यादाआधुनिक रेलवे कोच बना रहा है। आज भारत हर महीने औसतन 18 लाख घरों को पाइप वॉटर सप्लाई से जोड़ रहा है। आज 21वीं सदी का भारत चौथी औद्योगिक क्रांति में इंडस्ट्री 4.0 में पीछे रहने वालों में नहीं, बल्कि इस औद्योगिक क्रांति का नेतृत्व करने वालों में से एक है। इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी और डिजिटल टेक्नोलॉजी में भारत अपना परचम लहरा रहा है।

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अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि भारत का विश्व को दिशा दिखाने का हौसला The spirit of Indians है। आओ हौंसला सूरज से सीखे, रोज़ ढलके भी हर दिन नई उम्मीद से निकलता है।भारतीयों का हौसला सबसे बड़ी ताकत बनकर उभर रहा है – होता है, चलता है, के दिन लद गए। अब करना है, करके ही रहेंगे का संकल्प है।

संकलनकर्ता लेखक – कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन समनमुखदास भावनानी गोंदिया (महाराष्ट्र)

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