
देहरादून: उत्तराखंड (Uttarakhand) में कैलाश मानसरोवर यात्रा (Kailash Mansarovar Yatra) को लेकर बड़ा अपडेट आया है। राज्य में इस बार भी बम बम भोले की गूंज न सुनाई देगी और न देशभर से आने वाले कैलाश मानसरोवर यात्रियों का दल दिखाई देगा। यात्रा को लगातार तीसरे साल रद्द कर दिया गया है। इस बार यात्रा रद्द क्यों हुई इसकी वजह साफ नहीं है क्योंकि मामला विदेश मंत्रालय से जुडा हुआ है।
बताया जा रहा है कि यात्रा रद्द होने से उत्तराखंड को सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक नुकसान पहुंचा है। खासकर उत्तराखंड जो न सिर्फ देवभूमि है बल्कि विश्व प्रसिद्ध कैलाश मानसरोवर यात्रा की शुरुआत यहीं से होती है। यात्रा के पहले पांच पड़ाव उत्तराखंड में पड़ते हैं। कैलाश मानसरोवर यात्रा उत्तराखंड में सबसे पहले काठगोदाम फिर भीमताल फिर अल्मोड़ा और पिथौरागढ़-गूंजी- नाभि डांग होते हुए चीन तिब्बत बॉर्डर तक पहुंचती है।
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मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कैलाश यात्रा(Kailash Mansarovar Yatra) के ना होने से केएमवीएन को करीब 4 से 5 करोड़ के राजश्व का नुकसान हो रहा है। इससे हल्द्वानी (Haldwani) काठगोदाम से लेकर पिथौरागढ़ (Pithoragarh) गुंजी तक के बीच यात्रा के पड़ाव में काम करने वाले छोटे कारोबारी भी मायूस हैं। इससे पहले 2 साल कैलाश मानसरोवर यात्रा कोविड की वजह से रद्द कर दी गयी थी। लगातार तीसरे साल विश्व प्रसिद्ध कैलाश मानसरोवर यात्रा कैंसिल हो गयी है।