Home / uttarakhand / मैदान-पहाड़ को बांटने वाले नहीं होंगे कामयाब

मैदान-पहाड़ को बांटने वाले नहीं होंगे कामयाब

original residence self respect movement

हरिद्वार। मूल निवास स्वाभिमान आंदोलन (original residence self respect movement)को जन-जन तक पहुँचाने के लिए मूल निवास भू कानून समन्वय संघर्ष समिति, उत्तराखंड विभिन्न क्षेत्रों में बैठक कर विचार-विमर्श कर रही है। इसी कड़ी में संघर्ष समिति ने हरिद्वार में विभिन्न सामाजिक संगठनों, राजनीतिक दलों, पूर्व सैनिकों, राज्य आंदोलनकारियों के लोगों के साथ बैठक कर अग्रिम रणनीति पर चर्चा की।

डोईवाला में क्षेत्र पंचायत सदस्यों और कार्मिकों के तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का हुआ शुभारंभ

इस मौके पर समन्वय संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी और सह संयोजक लुशुन टोडरिया ने कहा कि मूल निवास स्वाभिमान आंदोलन को जन-जन तक पहुँचाने का अभियान जारी है। यह उत्तराखंड के हरेक मूल निवासी का आंदोलन है। आज कुछ लोग पहाड़-मैदान को आपस में बांटने के लिए षड्यंत्र कर रहे हैं। पहाड़ हो या मैदान, हरेक मूल निवासी इस लड़ाई में साथ है। संविधान में मूल निवास की कट ऑफ डेट 1950 है।

हम संविधान की भावना के अनुरूप ही अपने हक की बात कर रहे हैं। हमारी लड़ाई उनके खिलाफ़ है, जो अपने मूल राज्य में मूल निवास प्रमाण पत्र का लाभ ले रहे हैं और उत्तराखंड में स्थाई निवास बनाकर लाभ रहे हैं। जबकि ऐसा करना कानूनन अपराध है। बड़ी संख्या में लोग ऐसे भी हैं, जिन्होंने फर्जी स्थाई निवास बनाये हैं और वे लोग यहां नौकरी कर रहे हैं। पहाड़ के साथ ही मैदान में रहने वाले लोगों का भी हक़ बाहर के लोग मार रहे हैं। मैदान के मूल निवासी इस बात को समझते हैं।

उन्होंने कहा कि जब तक उत्तराखंड में हिमाचल की तर्ज पर सशक्त भू कानून और मूल निवास 1950 लागू नहीं हो जाता, यह आंदोलन जारी रहेगा। यह लड़ाई हमारे अस्तित्व, अस्मिता, स्वाभिमान और अपनी सांस्कृतिक पहचान बचाने का है। हमारे संसाधनों को बाहरी लोग डाका डाल रहे हैं। नौकरियों से लेकर जल, जंगल, जमीन पर बाहरी लोग कब्जा कर चुके हैं। हमें अपना भविष्य सुरक्षित करने के लिए इस लड़ाई को लड़ना ही होगा।

समन्वय समिति के सदस्य और पूर्व ब्लॉक प्रमुख पोखड़ा सुरेंद्र रावत ने कहा कि आज हमारी जमीनों पर भू माफिया का कब्जा होता जा रहा है। हमारे लोग बाहर के लोगों के रिजॉर्ट में नौकर बनने के लिए मजबूर हो गए हैं। सरकार ने भू कानून इतना लचर बना दिया है, कोई भी हमारे राज्य में बेतहाशा जमीन खरीद सकता है।

सामाजिक कार्यकर्ता तरुण व्यास, महादेव पंवार, चंद्रकिशोर लेखवार, डॉ अजय नेगी, बलवीर सिंह रावत ने कहा कि जब हमारी जमीन बचेगी, तभी हमारा ज़मीर भी बच पायेगा। जमीन बचेगी तो हमारी संस्कृति, बोली-भाषा, वेशभूषा, साहित्य और अस्मिता बच पाएगी।

राज्य आंदोलनकारी सतीश जोशी, योगेंद्र नेगी, दीपक पांडे, मनोज रावत, श्याम भट्ट, रजत कंडवाल, विनोद शर्मा, नंदकिशोर लेखवार, राज कंडवाल, उपेंद्र भंडारी, विनोद चौहान, मनेंद्र पुनेठा, धीरेंद्र सिंह रावत ने कहा कि हम सभी को एकजुट होकर अपने अधिकारों के लिए लड़ना है। आज हम लोग नहीं लड़े तो आने वाले समय में हम लोग अल्पसंख्यक हो जायेंगे और बाहरी ताकतें हम पर राज करेंगी। हमें अपनी पीढ़ियों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए संघर्ष करना है। यह जनांदोलन हर गांव, हर शहर में पहुँचना जरूरी है।

Tagged:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

LIC Of India

Social Icons

#arnittimes #dehradun news #dehradun news in hindi arnit times arnit times news arnit times news in hindi Dehradun Breaking News Dehradun Ki Khabre Dehradun Ki News dehradun Latest news Dehradun Live News Dehradun News Live Dehradun News Live Today Dehradun News Today Live Dehradun News Uttarakhand Dehradun Top News HINDI NEWS Latest Dehradun News in Hindi latest news Latest Uttarakhand News In Hindi News in Hindi UK News in Hindi Uttarakhand uttarakhand breaking news Uttarakhand Ki Khabre Uttarakhand Ki News uttarakhand Latest news Uttarakhand Live News uttarakhand news Uttarakhand News Dehradun Uttarakhand News Live Uttarakhand News Live Today Uttarakhand News Today Live Uttarakhand Top News उत्तराखंड की ताज़ा ख़बर उत्तराखंड न्यूज़ उत्तराखंड न्यूज़ हिंदी उत्तराखंड लाइव न्यूज़ उत्तराखंड लेटेस्ट न्यूज़ उत्तराखण्ड समाचार उत्तराखण्ड समाचार - Uttarakhand News देहरादून न्यूज़ देहरादून लेटेस्ट न्यूज़ पहाड़ समाचार हिंदी समाचार