20 कुमाऊं के शहीद नायक खेमचंद अब शहादत देकर पूरे देश के नायक,  7वी पुण्यतिथि पर याद आये सीमा के सच्चे पहरी

20 कुमाऊं के शहीद नायक खेमचंद अब शहादत देकर पूरे देश के नायक,  7वी पुण्यतिथि पर याद आये सीमा के सच्चे पहरी

बेतालघाट: शहीद खेमचंद डोर्बी राजकीय महाविद्यालय में शहीद खेमचंद की 7वी पुण्यतिथि पर उनके छायाचित्र के सम्मुख दीप प्रज्वलित कर उन्हें पुष्पगुच्छ के साथ श्रद्धांजलि अर्पित की गई। शहीद खेमचंद डोर्बी का जन्म 15 अगस्त 1976 को बेतालघाट ब्लॉक के छोटे से गांव चंद्रकोट में हुआ था। उनके पिता श्री लीलाधर डोर्बी भारतीय सेना से रिटायर्ड है तो वहीं उनकी माता श्रीमती भवानी देवी गृहणी है।
शहीद खेमचंद डोर्बी 20 साल की उम्र में सीमा के पहरी बन गए थे। 20 कुमाऊं के 50RR मे नायक खेम चंद डोर्बी (SAHEED KHEM CHANDRA 20 KUMON ) वर्ष 2014 में जम्मू कश्मीर में तैनात थे। 6 सितंबर के सेम्बूर गांव में आई बाढ़ के दौरान राहत व बचाव कार्य के लिए खेम चंद डोर्बी स्वेच्छा से आगे आए।

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झेलम नदी के किनारे बसे हुए गांव नदी के निचले स्तर में होने के कारण ज्यादा प्रभावित हो गए थे। काकापुर में तैनात कंपनी के अधीन एक दल को वहां और संपूर्ण गांव में फंसे लोगों की जिंदगी बचाने का कार्य सौंपा गया। तो वहीं नायक खेम चंद उस बचाव दल के सक्रिय सदस्य थे जहा पानी के बढ़ते स्तर को देखते हुए भी उन्होंने अपनी जान की परवाह नहीं की और इलाके के लोगों को बचाने में जुड़ गए। उनका जुनून तो पानी वेग से ज्यादा था, एक दल को बचाने के बाद वह दूसरी ओर लोगों को निकालने के लिए जा रहे थे कि तभी उनकी नाव तेज़ बहाव की चपेट में आ गयी और डूब गई। खेम चंद्र ने कर्तव्य का पालन करते हुए देश के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दे दिया।

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उनके अदम्य साहस और जज्बे के लिए भारत सरकार ने उन्हें मरणोपरांत सेना मेडल गैलन्ट्री से नवाजा है। जिसके बाद उत्तराखंड सरकार ने राजकीय महाविद्यालय बेतालघाट को शहीद खेम चंद डोर्बी का नाम भी दिया। वही आज उनकी 7वी पुण्यतिथि पर विधायक संजीव आर्य ने पुण्यतिथि स्थल पर फोन कॉल के माध्यम से शहीद खेम चन्द्र डोर्बी को उनकी पुण्यतिथि पर याद कर श्रद्धांजलि अर्पित की। उनका कहना था की इस परिवार से हमारे पारिवारिक रिश्ते है। उन्होंने शहीद के माता-पिता और उनकी वीर नारी प्रेमा देवी व छोटे भाई को भी याद किया। उन्होंने कहा एक शहीद के लिए हम जो भी करते हैं वह बहुत कम है।चंद्रकोट मोटर मार्ग अभी निर्माणाधीन है जैसे ही यहा सड़क का कार्य समाप्त होगा, इस मोटर मार्ग को भी शहीद खेमचंद के नाम से जाना जाएगा

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इससे पहले समाजसेवी शंकर जोशी ने शहीद खेमचंद जिंदाबाद ,भारत माता की जय, वंदे मातरम के नारों से उनके अदम्य साहस को, शहादत को याद करते हुए उनकी उलब्धियों को गिनाया। वहीं अधिवक्ता दीप रिखाडी ने कहा हम बचपन से ही सहपाठी थे और जब भी स्कूल में कोई कार्यक्रम होता था तो खेमचंद पहले से ही नायक की भूमिका में रहते थे और अब शहादत देकर पूरे देश के नायक है। उन्होने कहा की 6 सितंबर को शहीदी दिवस के रूप मे बनाया जाय वही उन्होने शहीद खेम चन्द्र पर स्वरचित कविता भी सुनाई।

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समाजसेवी राहुल अरोरा ने इस कार्यक्रम को वृहद बनाने के लिये एक ट्रस्ट बनाने का सुझाव दिया व कार्यक्रम की सूचना व रूपरेखा महाविदयालय से हो इसके लिये सांसद व उच्चअधिकारियों से वार्ता की बात कही। जिसके बाद दर्जा राज्य मंत्री पीसी गोरखा ने इस कार्यक्रम को वृहद बनाने के लिये आज ही फंड की व्यवस्था के लिये प्रस्ताव भेजा जाएगा। इससे पहले महाविद्यालय के प्राचार्य के साथ-साथ प्रोफेसर आदि ने भी उनके अदम्य साहस पर अपने विचार रखे। ग्राम प्रधान शेखर दानी ,प्रताप बोहरा,बालम बोहरा ने भी उनकी जीवनी पर प्रकाश डाला। 2 मिनट का मौन रखने के बाद शौर्य स्मारक स्थल का मुवायना किया गया।

रिपोर्ट: राजेश पंत(अर्नित टाइम्स न्यूज़) बेतालघाट, नैनीताल, उत्तराखंड

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